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________________ लघुविद्यानुवाद ४३७ मन्त्र -ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौ फट् अमुकं उच्चाटय २ स्वाहाः । (१९) ह्री कार मे देवदत्त लिखे, फिर एक वलयाकार वनावे, उस वलय मे ॐ कार से वेष्टित ___ करे। फिर आठ दल का कमल बनावे, उस कमल मे ल री र रो रो रै रः लिखे। यह यन्त्र रचना हुई। यन्त्र न १६ देखे । विधि .-इस यन्त्र को कौआ के रक्त से शत्रु के नाम सहित लिखे तो शत्रु को ज्वर पकड लेता है। (सावधान इस क्रिया को कभी नहीं करे नरक जाना पडेगा।) (२०) य कार मे देवदत्त गभित करके, ऊपर षटकोण बनावे, प्रत्येक षटकोण की करिणका मे । य २ लिखे यह प्रथम यत्र रचना हुई । यन्त्र न. २० देखे। श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० २० - - । -- - 2 - M - D - - - - उच्चाटन यन्त्र विधि ---इस यन्त्र को विप, श्मशान का कोयला और शत्रु के पाव की नीचे की धूल, इन सब चीजो से भोजपत्र पर शत्रु के नाम सहित लिखे तो शत्रु का उच्चाटन होता है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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