________________
४३४
लघुविद्यानुवाद
विधि -इस यन्त्र को गोरोचन और अपनी अनामिका अगुली के खून से (यहा रक्त का प्रयोग
आया है साधक इस प्रयोग को नही करे), भोजपत्र पर लिखकर, एरड की नली मे डाले तो, राजमन्त्र आदि के वश मे होते है। कही ऐसा भी पाठ है (एरड को लकडो के
अन्दर यन्त्र रखना)। मन्त्र :--ह्री द्रं नय रं नृप (राजा को शोभित करता है ।) (१७) य कार मे देवदत्त लिखकर ऊपर एक वलय बनावे, उस वलय मे ॐ २ लिखे, ऊपर अष्ट
दल का कमल बनावे । उन पाठों ही दलो मे ह्री कार आठ बार लिखे, कार से ह्री कार का त्रिधा घेरा बनावे । यन्त्र रचना हुई । यन्त्र न १७ देखे ।
श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १७
-
ह
-
-
दत्त
on
all
राजा, नगर, गांव को क्षुभित करता है