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________________ ४३० विधि हाँ विधि लघुविद्यानुवाद श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १२ हीँ कैर हाँ हाँस् हाँसं ह्रीँ हीँ सं देवदत्त 福 焉 हीँ हाँ सं हाँसं A हीँ हीँ ह इच्छितजन वशीकरण यन्त्र --इस यन्त्र को केशर गोरोचन से लिखकर ( भोजपत्र पर ) सराव सपुट के अन्दर डालकर स्थापना करे तो अच्छा वशीकररण होता है । (१३) ह्री देवदत्त श्री लिखे, बाहर चार दल का कमल खीचे, उस कमल कर्रिएका म ह्रीकार की क्रमश स्थापना करे । यन्त्र न १३ देखे । - इस यन्त्र को केशर गोरोचन से भोजपत्र पर लिखे, यन्त्र को वस्त्र पर लपेट कर गले में अथवा हाथ मे धारण करने से, प्रायु की वृद्धि होती है । अपमृत्यु नही होती है । भूत, पिशाच, ज्वर, स्कघ अपस्मार ग्रह से पीड़ित रोगी को तत्क्षण ही छुटकारा मिल जाना है। रोगी अच्छा हो जाता है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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