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विधि
हाँ
विधि
लघुविद्यानुवाद
श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १२
हीँ
कैर
हाँ
हाँस्
हाँसं
ह्रीँ
हीँ सं
देवदत्त
福
焉
हीँ
हाँ सं
हाँसं
A
हीँ
हीँ
ह
इच्छितजन वशीकरण यन्त्र
--इस यन्त्र को केशर गोरोचन से लिखकर ( भोजपत्र पर ) सराव सपुट के अन्दर डालकर स्थापना करे तो अच्छा वशीकररण होता है ।
(१३) ह्री देवदत्त श्री लिखे, बाहर चार दल का कमल खीचे, उस कमल कर्रिएका म ह्रीकार की क्रमश स्थापना करे । यन्त्र न १३ देखे ।
- इस यन्त्र को केशर गोरोचन से भोजपत्र पर लिखे, यन्त्र को वस्त्र पर लपेट कर गले में अथवा हाथ मे धारण करने से, प्रायु की वृद्धि होती है । अपमृत्यु नही होती है । भूत, पिशाच, ज्वर, स्कघ अपस्मार ग्रह से पीड़ित रोगी को तत्क्षण ही छुटकारा मिल जाना है। रोगी अच्छा हो जाता है ।