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________________ ४२२ लघुविद्यानुवाद - शाकिनि निग्रह मन्त्र --नरल ३ किमलइ फेत्कार मडली असिद्धि हई निवारई द्रोसम मैं आऊ सिपई स हालपुलिमाई २ रक्ती सी पुत्तप सम नकरसी। डाकिनी मन्त्र --ॐ ह स व क्ष क्म्व्यू भा ह्री ग्ना ज फट । १ विधि --अश्व गधापसव, सरसो कपास को उपरोक्त मन्त्र से मन्त्रीत कर अवस्तुनि आछोते, ऊसल मुसल वतिना वालागरुडै सिदुरस् ताडित करे तो, शाकिनी प्रगट होती है, और उस पात्र को, यानी रोगी को छोड देती है। शाकिनो मन्त्र विधि -किलट्टमल तदुलोदकेन गालयित्वा पात्रस्य तिलक झियते । शाकिनीना स्तभो भवति । अत पर प्रवक्षामि । योगिनि क्षोभ मुक्तयरि समत्र ससिद्ध श्री मत्सद्य प्रपूजीत । मन्त्र :-ॐ सुग्रीवायजनेवहतराय स्वाहा । विधि --इस मन्त्र को पढने से डाकिनी की दिशा बध होती है । और पुत्र की रक्षा डाकिनी से अवश्य होती है। मन्त्र :-ॐ नमो सुग्रीवाय भो भो मत्त मातंगिनी स्वाहा । यह मुद्रिका मन्त्र है। विधि --उपरोक्त मन्त्र को चक्र मुद्रा बनाकर रोगी को दिखावे और मन्त्र का जाप करे तो कोई भी प्रकार की भूतप्रेत ग्रह शाकिनी, डाकिनी आदि रोगी को छोडकर भाग जाती है। मन्त्र --ॐ नमः सुग्रोवाय नमः चामुंडो तक्षि कालोग्रह विसत् हन २ भंज २ मोहय २ रोषिरणी देवी सुस्वाप स्वाह । प्रोच्छादने विद्या । मन्त्र :--ॐ नमो सुग्रीवाय परमसिद्ध सर्व शाकीनां प्रमर्दनाय, कुट २ आकर्षय २ वामदेव २ प्रतान दह २ ममाहलि रहि २ उसग्रत २ यसि २ ॐ फट् शूल चडायनो विजमामहन् प्रचड सुग्रीवोसासपति स्वाहा । १卐-दूसरा पाठ इस प्रकार है-ॐ ह स व क्ष क्म्यं ब्लू भा ह्री ग्र हु फट् ॐ स्वो क्ष क्रो शाकिनीना निग्रह कुरु २ हु फट् । द्वितीय विधि इस प्रकार है, असगध का चूर्ण, जौ के अाटा की खीर, सरसो और कपास मन्त्रीत कर, घर के कोने २ मे छाटना, और भी चला पर, देरी वगेरे पर सिन्दुर मन्त्रीत कर छाटना चाहिये, तो घर मे घुसी हुई डाकरण प्रगट होती है और जिसको लगी हो उसको छोड कर भाग जाती है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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