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लघु विद्यानुवाद
विधि :-- इस विद्या का १००८ श्वेत फूलो से श्री पार्श्वनाथ के चैत्यालय मे भगवान के सामने जप करे, तो, सर्व मन्त्र विधा की सिद्धि होती है । स्वप्न मे शुभाशुभ होने वाली भविष्य को कहती है ।
""अमुकस्य हृदय कित्वा मम
'अमुकस्य हृदय पीत्वा मम हृदयम् प्रविशेतत्क्षरणा
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ॐ नम चडिकाये ॐ चामु डे उच्छिष्ट चडिलिनि -
हृदय प्रविशायै स्वाहा ।
ॐ उच्छिष्ट चडालिनीए...
दानय स्वाहा ।
ॐ चामु डे अमुकस्य हृदय पिवामि । ॐ चामुळे डिनी स्वाहा ।
विधि - बालू की मूर्ति बनाकर अक्षुणता से उपरोक्त मन्त्र का जाप करें, फिर होम करे, सर्व
रसिणवास कुण ।
मन्त्र :- ॐ उतिम मातंगिनी अप स्वाहा । ॐ ह्र ं ह्रीं ह्रीं .-- इस मन्त्र से ताबूल (पान) को नाश होता है ।
विधि
(इ) विस्सेपइ कित्ती एइ पत्त लग्नी चंडालि ह्रः । एकांतर ज्वर मंत्र्य तांबू लेन सह देयम् ॥ २१ बार मन्त्रीत कर रोगी को खिला देवे तो एकात ज्वर
मन्त्र :- ॐ ह्रीं ॐ नागाकर्षणं । ॐ गः मः ठः ठः गति बंध ह्रीं ह्रीं द्र ं द्रः ॐ देव २ मुख बंध २ ॐ ह्रीं फट् क्रों प्रोच्छि २ भी ठः ठः ठः कुंडली करणं । ॐ लोलु ललाटः घट प्रवेशः ॐ यहः विसर्जनीयं श्रोष्ठ, कंठ, जिह्वा, मुखखिल्लउ तालु खिल्लउ ॐ जिह्वा खिल्लवु ॐ खिल्लउं तालु हगरु सुबहुः चंचु २ हेर ठः ठः महाकाली योग काली कुयोगमुह सिद्ध २ उ, ए, हु कु सप मुह बंध ठः ठः ।
ॐ भूरिसि भूति धात्री विविध चूखैर लकृता स्वाहा । भूमि शुद्धि ।
डाकिनी मन्त्र ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय शाकिनी योगिनीना -- मडल मध्ये प्रवेशाय २ अवेशय २ सर्व शाकिनी सिद्धि सत्वेन सर्षपास्तारय स्वाहा ।
सर्वपतारण मन्त्र -- ॐ नमो सुग्रोवाय ह्री खट् बाग, त्रिशूल डमरू हस्ते तोस्तीक्ष्णक कराले, वटेला नल कपोले लुचित केश कपाल वरदे | अमृत शिर भाले । गडे । सर्व डाकिनोना वणकराय सर्व मन्त्र छेदनी निखये श्रागच्छ भवती त्रिशूल लोलय २ इरा डाकिनि, चले ३ |