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लघुविद्यानुवाद
विधि :--इस यन्त्र को भोज पत्र पर गोरोचन, कस्तुरी, केशर आदि सुगधित द्रव्यो से लिखकर
निरतर यन्त्र का ध्यान करने से काव्य शक्ति बढती है। यन्त्र मे लिखा हुवा मन्त्र का
जाप्य करे, जाप, आसन, भोजन, पुष्य मब सफेद ही हो। (३) तीसरे प्रकार से यन्त्र की रचना --
प्रथम पटकोण बनाये, षट्कोण चक्र मे ऐ क्ली ह्रौं तया देवदत्त लिखे, उस षटकोण के । दलो मे क्रमश -ॐ ह्री क्ली द्रवे नमः, ॐ ह्री क्ली द्रावे नम , ॐ ह्री क्ली द्रनम, ॐ ह्री क्ली उमाद्रे नम , ॐ ह्री क्ली द्रवे नम , ॐ ह्री क्ली द्रावे नम , ॐ ह्री क्ली से पद्मिनी लिखे। फिर उस षट्कोण पर वलयाकार बनावे, उस वलय को अष्ट दल बनावे, उन अष्ट दलो मे माया वीज यानी (ह्री) बीज की स्थापना करे। फिर उसके उपर सोलह दल के कमल वनावे उन सोलह दल मे काम बीज यानी (क्ली) वीज की स्थापना करे। उसके उपर एक सोलह दल वाला कमल और बनावे, प्रत्येक दल मे (ह्रो) बीज की स्थापना करे, फिर उसके उपर आठ दल वाला कमल बनावे, प्रत्येक दल मे क्रमश माया बीज (ही) लिखकर फिर क्रमश ॐ पा को ह्री जयायै नम ॐा को ह्री विजयायै नम , ॐ आ को ह्री अजितायै नम , ॐ श्रा को ही अपराजितायै नम , ॐ आ को ह्री जयताय नम , ॐ श्रा को ह्री विजयायैनम ॐ आ को ह्री भद्रायै नम ॐ आ को ही शातायै नम , लिखे फिर उपर से ह्री कार को तोन गुणा वेष्टित करके माहेद्र चक्राकित चद्रकोण मे, (ल) कार की स्थापना करे । यह यन्त्र रचना हुई । देखे यत्र न० ३ विधि --इस यन्त्र को भोज पत्र पर लिखकर इस मन्त्र से जाप, करे (क कुम-गोरोचनादि
से लिखे) । मन्त्र -ॐ प्रां कों ह्रीं धरणेद्राय ह्री पद्मावति सहिताय क्रौं ह्र ही फट् स्वाहा । विधि :-सफेद फूलो से ५०००० हजार जाप, एकात स्थान मे मौन से करे। दशास होम करे तो
सिद्ध होता है।
इस यन्त्र के सामने रखकर मन्त्र का सतत् कर जाप्य करने से सर्व कार्य की सिद्धि होती है, सर्व कार्य की सिद्धि से यहा मारण कर्म और उच्चाटन कर्म को थोडा बहुत भी अवकाश नही, मात्र सर्व कार्य सिद्धि का अर्य ससारीक सुखो की प्राप्ति होना है, इसलिये दुसरो का अनर्थ रूप कार्य करने की कभी भी इच्छा न करे।