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लघुविद्यानुवाद
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निवार्थ ऐसा लिख कर समेट कर चावल, सुपारी, पुष्प और यन्त्र हाथ मे दे देवे । लेने वाला मन्त्र को पास मे रखे और चावल सुपारी आदि जल मे प्रवेश करा देवे । आपत्ति से बचाव होगा और आपत्ति को नष्ट करने मे हिम्मत पैदा होगी। दिमाग मे स्थिरता आवेगी साथ ही अपने इष्ट देव के स्मरण को भी करता रहे। इष्ट का आराधना ऐसे समय मे बहुत सहायक होता है। और दान, पुण्य करने से आपत्ति का निवारण होता है। इस बात का ध्यान रखे। इष्ट सिद्धि होगी ॥१३॥
गृह क्लेश निवारण बीसा यन्त्र ॥१४॥
ग्रह क्लेश ग्रहस्थ के यहा अनायास छोटी बडी बात मे हुआ करता है और सामान्य क्लेश हुआ हो तो जल्दी नष्ट हो जाता है परन्तु किसी समय ऐसा हो जाता है कि उसे दूर करने मे कई तरह की कठिनाइया आ जाती है और क्लेश, दिन-दिन बढता रहता है। और ऐसे समय में यह बीसा यन्त्र बहत काम देता है। इस यन्त्र को भोज पत्र या कागज पर यक्ष कर्दम से लिखना चाहिये और
यन्त्र न०१४
लिखने के बाद एक यन्त्र को ऐसी जगह लगा देना कि जिस पर सारे कुटुम्ब की दृष्टि पड़ती रहे और एक यन्त्र घर का मुखिया पुरुष निज के पास भे रखे और पहला यन्त्र जिस जगह लगाया हो वह शरीर भाग से ऊँची जगह पर लगावे और नित्य धूप खेय कर उपसम होने की प्रार्थना करे तो क्लेश मष्ट हो जाएगा। प्रत्येक कार्य मे श्रद्धा रखनी चाहिये। इष्ट देव के स्मरण को कभी नही भलना. जिससे कार्य की सिद्धि होगी ॥१४॥