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लघुविद्यानुवाद
समय आपत्ति आने का अनुमान किया जाता है । इस यत्र की तरह के कार्य करने वाले इस यत्र को यक्ष कर्दम से लिखकर अपने पास रखे तो अच्छा है । इस यन्त्र को अनार की कलम से लिखना चाहिए और दिवाली के दिन मध्य रात्रि मे लिखकर पास मे रखे तो और भी अच्छा है। दिवाली के दिन नही लिखा जाय तो अच्छा दिन देखकर विधान के साथ लिख मादलिये मे रख पास मे रखे ॥६॥
पिशाच पीड़ा हर यन्त्र ॥७॥ (सत्तरत्रिया यंत्र) पिशाच, भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी इत्यादिक कष्ट पहचाता हो तो उसे निवारण करने के लिये ऐसे यन्त्र को पास मे रखना चाहिये । भोजपत्र या कागज पर यक्ष कर्दम से अनार या चमेली की कलम से अमावस्या, रविवार और मूल नक्षत्र इन तीनो मे एक जिस दिन हो स्वच्छ होकर मोन
यन्त्र न ७
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रह कर इस यन्त्र को लिखे लोबान व धप दोनो का धूपा चलता रहे। उत्तर दिशा या दक्षिण । की तरफ लाल या श्याम रग के आसन पर बैठ कर लिखो। विशेष बात सात रग के रेशम का धागा से यन्त्र को लपेट देवे और मादलिये मे रख ले या कागज मे लपेट अपने पास रखे। विशेष जिसक लिये बनाया हो उसका नाम यन्त्र के नीचे लिखे कि "शाकिनी पीडा निवारणार्थ या भूत १ निवार्णार्थ ।” जिसकी ओर से पीडा होती हो उसका नाम लिखे । किसी, मनुष्य को कोई शत्रु या मनुष्य सताता हो, कष्ट पहुंचाता हो, हैरान करता हो, परेशान करता हो तो यन्त्र लिख द्वारा उत्पन्न पीडा के निवार्थ ऐसा लिखाना चाहिए और तैयार करने के बाद पास में र" कप्ट हो रहा होगा उससे शाति मिलेगी। दोनो विधान में यक्ष कर्दम मे लिखना चाहिए ॥७॥