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________________ २५४ लघु विद्यानुवाद यत्र लेखन गन्ध || यत्र अष्ट गध से और यक्ष कर्दम से लिखे जाते है और कलम के लिए भी अलग विधान है ।। अनार की चमेली की श्रीर सोने की कलम से लिखना बताया है सा यत्र के बयान में जिस प्रकार की कलम या गध का नाम श्रावे वैसी तैयारी कर लेना चाहिये । लिखते समय कलम टूट जाय तो यत्र से लाभ नही हो सकेगा गौर लिखते समय गवादि भी कम न हो जाय जिसका उपाय पहले ही कर लेना चाहिये ।। अष्ट गध मे अगर, तगर, गोरोचन, कस्तूरी, चन्दन, सिन्दूर, लाल चन्दन, कपूर इनको एक खरल में घोट कर तैयार कर लेना चाहिये । स्याही जैसी रस बना लेनी चाहिये ||=|| अष्ट गध का दूसरा प्रकार कपूर, कस्तूरी, केशर, गोरोचन, सघरफ, चन्दन और गेहुँला । इस तरह आठ वस्तु का बनता है । अष्टगंध का तीसरा विधान केशर, कस्तुरी, कपूर, हिंगुल, चन्दन, लाल चन्दन, अगर, तगर लेकर घोटकर तैयार कर लेना । पच गध का विधान केशर, कस्तूरी, कपूर, चन्दन, गोरोचन इन पाच वस्तुओ का मिश्रण कर रस बना लेना । ॥ यक्ष कर्दम का विधान, चन्दन, केशर, कपूर, अगर, तगर, कस्तूरी, गोरोचन, हिगुल रत्ता जरणी, अम्बर सोने का वर्क, मिरच, ककोमु इन सबको लेकर स्याही जैसा रस बना लेवे || ऊपर बताए अनुसार स्याही जैसा रस तैयार कर पवित्र कटोरी या अन्य किसी स्वच्छ पात्र मे लेना । ध्यान रखिये कि जिसमे भोजन किया हो अथवा पानी पिया हो तो वह कटोरी काम मे नही आ सकेगी। स्याही यदि तत्कालिक बनाई हो अथवा पहले बनाकर सुखाकर रखी हो तो उसे काम मे ल सकते है । सब तरह के गंध या स्याही की तैयारी मे गुलाब जल काम मे लेना चाहिये और अनार की या चमेली की कलम एक गुल से याने ग्यारह तेरह अगुल लम्बी होनी चाहिए और याद रखिये कि ग्यारह अगुल से कम 1 मना है । सोने का निब हो तो वह भी नया होना चाहिए जिससे पहले कभी न लिखा हो । जिस होल्डर मे निब डाला जाय उसमे लोहे का कोई अश नही होना चाहिए । इस तरह की तैयारी व्यवस्थित रूप से की जाय ।। भोजपत्र स्वच्छ हो, दाग रहित हो, फटा हुआ नही हो ऐसा स्वच्छ देखकर लेना और यन्त्र जितना बडा लिखना हो उससे एक अ गुल अधिक लम्बा, चौडा लेना चाहिए, भोजपत्र न मिले तो अभाव मे आवश्यकता पूरी करने को कागज भी काम ले सकते है | = ॥ यन्त्र लेखन योजना ।। ।।जब यन्त्र का साधन नया सिद्धि करने के लिए बैठे उससे पहले यन्त्र को लिखने की योजना को समझ ले । बिना समझे या अभ्यास किये बगैर यत्र लिखोगे तो उसमे भूल हो जाना संभव है । मान लो भूल हो गयी लिखे हुए अक को काट दिया या मिटा दिया और उसकी जगह दूसरा लिखा हो वह भी यत्र लाभदायक नही होगा यदि न क लिखते समय अधिक या एक के बदले दूसरा लिखा गया तो वह भी एक प्रकार की भूल मानी गयी है । अत इसी तरह से लिखा गया हो तो उसका कागज या भोजपत्र, जिस पर लिख रहे हो उसको छोड दो और दूसरा लेकर लिखने लगो इस तरह एक भी भूल न होने पाए । इसीलिए पहले लिखने का अभ्यास कर लेना चाहिए ।। यत्र लिखते समय यत्र मे देख नो
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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