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लघुविद्यानुवाद
एक सो बहुत्तरो यंत्र प्रभाव, बालक ने टाले दुष्ट भाव । बिहुमोनो यंत्र लखिये वाट, वाणिज्य धरणा होय हाट मझार ॥ १० ॥ त्रणशें नर नारी नो नेह, विणठो बांधे नहीं सन्देह । चारशें घर भय न विहोय, कण उत्पत्ति घरणी खेत्रे जोय ॥ ११ ॥ पाँच सै महिला गर्भज धरै, पुरुष हने पुत्र संतति करे। छशे यन्त्र होय सुखकार, सातशे झगड़े होय जयकार ॥ १२ ॥ नवसे पंथे न लागे चोर, दश में दुख न परभवें घोर । इग्यारसे छेजे जीव दुष्ट, तेहना भय टाले उत्कृष्ट ॥ १३ ॥ बन्दी मोक्ष वार से होय, दश सदृसे पुनः तेहिज होय । बली सयलनी रक्षा करे, एम यन्त्र तरणी महिमा विस्तरे ॥ १४ ॥ पच्चास से राजादिक मान, शाकिनि दोष निवारण जान । कण्ठे तथा मस्तक जे धरे, अशुभ कर्म ते शुद्ध जे करे ।। १५ ॥ बावन नामो मस्तके तथा, कंठे क्षेत्रपालनो हित सदा । परणयालीस सिर कण्ठे होय, सर्व वश्य धा तस जोय ॥ १६ ॥ . कुंकुम गोरोचन्दन सार, मृग मद सों चौदस रविवार । पवित्र पणे पुण्य मूल नक्षत्र, एकमना लखिये जो यन्त्र ।। १७ ॥ पार्श्व जिनेश्वर तणे पसाय, अलिय विघन सब दूर पलाय । पंडित अमर सुन्दर इम कहे, पूजे परमारथ सब लहे ।। १८ ।।
॥ इति छन्द महिमा ।
अथ यन्त्र महिमा छंद का भावार्थ :
बीसा यन्त्र सोलह कोठे मे लिखकर पास मे रखने से तमाम तरह के भय का नाश होता है। २२ (अट्ठाइसा) यन्त्र रोग भय को नष्ट करता है। ३६ (छत्तीसा) यन्त्र धात