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यंत्रो की प्राण प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी
यंत्रों की प्रारण प्रतिष्ठा मंत्र
पहले यत्रो का दुग्धादिक से नहरण करे, फिर यत्रो को सुगन्धित गध लेकर करें । यत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके यत्र की पूजा करे । पूजा करने के बाद जिस कार्य के लिये जो यत्र हो वैसा उस यत्र का प्रयोग करे, सामान्यतः छोटे-छोटे यत्रो की पूजा तो मात्र निम्न प्रकार करे ।
ॐ ह्री हे यत्र राजाय अत्रा गच्छ-२ अत्र तिष्ठ-२ अत्र मम् सन्निहितो भव-२ वषट् । ॐ ह्री हे यत्र राजाय जल निर्वपामिति स्वाहा ।
इसी प्रकार गधाक्षतादि के मंत्र बोलकर पूजा कर लेवे । ऋषि मण्डल, कलिकुण्ड, सिद्धचक्रादि बडे-बडे यत्रो की पूजा विशेष रीति से करे प्रारण प्रतिष्ठा होने तक तो ऊपर के समान विधान करे, और फिर ऋषि मण्डल विधान कलि कुण्ड विधान करे, जो-जो यत्र है उस यत्र सम्बन्धित विधान करे ।
छोटे -२ यंत्रों की प्रारण प्रतिष्ठा मंत्र
ॐ श्रा को ही प्रसि, आउ साय र ल व श ष स ह अमुकस्य प्रारणा इह प्रारणा अमुकस्य X जीवा इह स्थिता अमुकस्य x यत्र मंत्र तत्रस्य सर्वेन्द्रियाणि काय वाड, मनश्चक्षु श्रोत्र धारण प्रारण देवदत्तस्य x इहे वायतु ग्रह पत्र सुख चिर तिष्टतु स्वाहा ।
X ऐसा निशान जहा कही पर भी हो वहा यत्र का नाम लेवे ।
बड़े - २ यंत्रो की प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
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ॐ ह्रीको अाइ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ औ अ अ क्यू म्यू नमः परमात्मने ॐ ह स क ख ग घ ड ॐ ह्रा गमो अरहताण दम्य देवदत्ताण × प्राणॉया च छ ज झ ॐ ह्री णमो सिद्धारण पम्ल्यू जल देवताया x प्रारणा ट ठ ड ढॐ ह्र मो आइरियाण फ्ल्यू ू अग्नि देवताणा X प्रारणा त थ द ध न ॐ ह्र े णमो उवझायाण रम्यू वायु देवताया x प्रारणा प फ ब भ म ॐ ह्र गमो लोए सव्वसाहूण हम्ल्यू आकाश देवताया x प्राणायरल व श स ष ह क्ष ॐ णमो ग्ररहत केवलिगो भ्यू श्रानदेवताया X प्रारणा इह स्थिता सर्व यंत्र, मंत्र, तन रूपेण दिव्य देहाय सप्त धातु रूप कायेन्द्रियाणि देवदत्तस्य काय वाड, मनश्चक्षु श्रोत्र धारण जिव्हेन्द्रियाणि सु रूचिर सुख चिर तिष्ठतु स्वाहा ।
[x ऐसा निशान जहा भी हो मत्र का नाम लेवे ]
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