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________________ २४६ लघुविद्यानुवाद विधि :- इस मन्त्र को ७ बार पढकर घाव पर फूंके तो पीडा कम हो घाव भरे । कर्ण पिशाचिनी देवी का मन्त्र मन्त्र :- ॐ ह्री अर्ह मो जिरगाणं लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहियाणं, लोग ईवारणं, लोगपज्जोयगराणं मम शुभाशुभं दर्शय कर्णपिशाचिनी नमः स्वाहा । विधि - प्रतिदिन स्नान कर, शुद्ध वस्त्र पहनकर पूर्व की ओर मुँहकर रुद्राक्ष की माला से जाप शुरू करे । दसो दिशाओ मे एक एक माला फेरे २१ दिन तक । फिर जब जरूरत हो तो रात के समय एक माला फेर कर जमीन पर सो जाय, चन्दन घिस कान पर लगावे । स्वप्न मे प्रश्न का सम्पूर्ण उत्तर प्राप्त होगा, कान मे बीच मे चटका चलेगा घबराये नही । क्लीं बीजमंत्र श्राकर्षण तन्त्र मे सबसे पहले क्ली बीजमन्त्र को सिद्ध कर लेना चाहिए। इसके सिद्ध होने के बाद ही आकर्षण मन्त्रो व तन्त्रो का प्रयोग करना चाहिये । उसके अभाव मे सफलता प्राप्त क्लीँ करना सम्भव प्रतीत नही होता । क्ली बीज मन्त्र को काय वीज यानि काय कला बीज कहते है । त्रिकोण की ऊर्ध्वमुख तथा अधोमुख स्थापन से जो आकृति बनती है उसे योनि मुद्रा कहते हैं । इसके
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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