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________________ लघु विद्यानुवाद रक्षा करे । गुरु रखवाला शब्द सांचा पिंड काचा चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु को । विधि :- नीम की डाली से २१ बार झाडे तो अण्डकोष वृद्धि तथा खाख बिलाई ठीक हो । मन्त्र :- ॐ उमती उमती चल चल स्वाहा । विधि - शुभ मुहूर्त मे ११०० जाप कर इस मन्त्र को सिद्ध कर ले। सूत मे एक गाठ दे, और हर २१ बार पढकर एक गाठ दे । मस्सा नासक मन्त्र मन्त्र २४५ शरीर पर हा जाते जाते है | फिर २१ बार पढकर लाल इस तरह तीन गाठ देने पर ६३ बार मन्त्र पढ लिया जायेगा । इस सूत्र को दाहिने पैर के अंगूठे मे बाँध देने से खूनी बवासीर की पीडा दूर होती है । वरणहर मन्त्र मन्त्र :- ॐ गमो जिरणारण जावयाणं पुसोरिग अं ए एरिए सव्व पायेण वरणमा पच्च उमा धुव उमा फुट् ॐ ॐ ठः ठः स्वाहा । विधि - इस मन्त्र से राख अभिमन्त्रित कर व्रण जिनको वरण भी कहते है । जो बालको के उन पर अथवा शीतला के व्रणो पर लगावे, तो मिट बाला (नहरवा) का मन्त्र - - ॐ नमो मरहर दे शंक सारी गांव महामा सिधुर चांद से बाले कियो विस्तार बालो उपनो कपाल भांय या हुतियो गहु प्रो तोड़ कीजै नै उबाला किया पाचे फुटे पीड़ा करे तो विप्रनाथ जोगी री श्राज्ञा फुरे । विधि :—कुमारी कन्या के हाथ से कते सूत की डोरी करके ७ गांठ मन्त्र पढकर दे, पैर के बाध दे । बाला ठीक हो जायगा । घाव की पीड़ा का मन्त्र मन्त्र - सार सार बिजे सार बांधू सात बार फूटे अन्न उपजे धाव सीर राखे श्री गोरखनाथ |
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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