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लघुविद्यानुवाद
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मन्त्र :---ॐ नमो भगवते विश्व रूपाय कामाख्याय सर्व चितितं प्रदाय मम लक्ष्मी
प्राप्त कराय स्वाहा । विधि :-(इस मन्त्र की विधि नही है)। मन्त्र :-ॐ नमो अर्हते भगवते प्रक्षोरणाशेष-दोषाय दिव्य-तेजो-मूर्तये नमः श्री
शान्तिनाथाय शान्ति कराय सर्व विघ्न प्रणाशनाय, सर्वरोगापमृत्युविनाशनाय, सर्वपरकृतक्षुद्रोपद्रव नाशाय विनाशनाय सर्व क्षाम डामर विनाशनाय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रह्रौ ह्रः अ सि आ उ सा देवदत्तस्य सर्व शान्ति कुरु २
स्वाहा। विधि :-अनेन मन्त्रेण वार ३ व ७ गधोदक पढि शिरसि निक्षियेत् । मन्त्र :--ॐ उच्चिष्ट चांडालिनी सुमुखी देवी महा पिशाचिनी ह्रीं ठः ठः
स्वाहा। :-बार १०८ दिन पहले जीमने बैठता ग्रास १ बार ३ जप धरती मेलता पानी चलु ३ धरती
मेलता दुजै दिन ग्रास ३ जीमतॉ बीच झूठे मुह बार १०८ जप पानी चलु ३ मत्र पढि पीना। फिर भोजन करे दिन : इस प्रकार कर पीछे से पाखाने गैठता, बार १०८ जप
करना। पीछे दिन मशान ऊपर बैठ जप करना प्रत्यक्ष भवति । मन्त्र :-ॐ क्म्य , ॐ रम्य , ॐ त्म्य , ॐ म्म्यं , ॐ भव्य ,
ॐ ह म्यू, ॐ श्म्य, ॐ क्षम्य , ॐ रम्यं , ॐ रुम्ल्व्य । विधि .-ये मन्त्र अष्टगधेन लिख पूजा पूर्वक मस्तक पर रखे, लाभ हो जाये, जाप करे विधि पूर्वक
लक्ष्मी की प्राप्ति होय । मन्त्र :-ॐ नमो आदि योगिनी परम माया महादेवी शत्र, टालनी, दैत्य मारिनी मन
वांछित पूरणी, धन प्रान वृद्धि प्रान जस सौभाग्य प्रान आने तो प्रादि भैरवी तेरी आज्ञा न फुरै । गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो । ईश्वरो मन्त्र
वाचा। विधि -मन्त्र जपै निरन्तर १०८ बार विधिपूर्वक लक्ष्मी की प्राप्ति होय । सर्वकार्य सिद्ध होय।
वार २१-१०८ चोखा मन्त्रि जिस वस्तु मे राखै अक्षय होय । मन्त्र -ॐ नमो गोमय स्वामी भगवउ ऋद्धि समो अक्खीरण समो पारण २ भरि २
पुरि २ कुरु २ ठः ठः ठः स्वाहा ।