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लघुविद्यानुवाद
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पहर शाकिनी संधूमवीरात् ॐ उग्नों ग्नी ग्नां उ ह्रीं ह्रां २ होत्फट् स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र से गुग्गुल ७ बार मन्त्रित कर उखल मे डाल कर मुसल से कूटे तो शाकिनी को प्रहार लगता है । गोडो मूडे शाकिनी मस्तक मूडा वैलागीनी चेष्टा । पेट दर्द हो, उबाक आवे, उच्चाट उपजै, सूल आवे, वेटि करे, माटि दिठाउ चाट उवाट उपजै, सूल आवे, सासरे न रहे, मावो अगर, देह लूणपारिग हो वई । घणु बोले नही, सूहो भीलडी रूप देखे । सुती डरे, छोरू आवद्व रहे, लोहि पडे, छोरू न हुवं । इतनी बात हो तो शाकिनी की चेष्टा जानना ।
मन्त्र
मन्त्र :- काली चीडी चग २ करें मोर विलाइ नाचै, हणमंती यती की हाक मांने श्रमुका की धरण ठोका
।
विधि : - इस मन्त्र को १०८ बार प्रभात ही रविवार को वेलअठाइ आाटा की मन्त्री धूप देइ हाथ राखिजे धरण ठोकाने आवै ।
:- ॐ नमो अ जैपाल राजा श्राजया देरारणी तेहने सात पुत्रा प्रथम पुत्र: एकान्तरो, वेलाज्वर, शीतज्वर, दाह ज्वर, पक्ष ज्वर, नित्य ज्वर, तृतीय ज्वर, ए सात ज्वर माहिपोडा करें तो जैपाल राजा अर्जया देराणी की ग्र० मे फु० ।
—कन्या कत्रीत सूत्र को सात वड कर के गाठ ७ लगावे उसको २१ वार मन्त्रित करे हाथ मे बाधे तो सर्व प्रकार के ज्वर दूर होते है ।
विधि
मन्त्र :- ॐ नमो रूद्र २ महारूद्र २ वृश्चिक विनाशय नाशय स्वाहा । विधि - इस मन्त्र से १०८ बार मन्त्रित करे वैसे बीछु का जहर उतरे ।
मन्त्र
- ॐ ह्रीं हिमवन्तस्योतरे पार्श्वे श्रश्व करर्णो महादुमः तत्र सूलसमुत्पन्ना तत्रेव विलयंगता |
विधि :- इस मन्त्र से पानी कलवारणी कर पिलाने से सूल मिट जाता है ।
मन्त्र — ॐ नमो लोहित पीगलाय मातंगराजाय उतप्पथा लघु हिली हिली चिली २
मिलि २ स्वाहा ।
— कन्या कत्रीत सूत को सात वड करके गाठ २१ देवे फिर २१ वार मन्त्रित कर कमर मे बाधने से गर्भ का स्तम्भन होता है ।
विधि
मन्त्र — ॐ श्रॉणू गंग जमरण चीबेली लूं खोलू होठ कंठ सहसा बालू खोलू जीभ मुखं संभालं खोलूं मावापजिण तूं जाया खीलू वाट घाट जिण तू या खोलूं धरती गयण प्रकाश मरहो बिसहर जो मेंलू सास ।