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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :--ॐ सुमंखो महापिशाचिनी ठः ठः ठः फट स्वाहा । विधि :-अपमृत्यु से मरे हुये मनुष्य के मुर्दे पर इस मन्त्र का जाप २१ हजार बैठ कर करे और
मुर्दे के मुह मे पारा दो तोला डाल देवे । जब जप समाप्त हो जावे तव सहतु १ सौप १ शकर, उडद का होम करे । दशास । तब वह मुर्दा उठ जावेगा, उस मुर्दे को पकड कर उसके मुह से पारा की गोली निकाल लेना और उस मुर्दे को जला देना । इसी मन्त्र से उस पारा की गोली की पूजा करके २१०० सौ जाप करे । फिर उस गोली को पास मे या मुह मे धारण करने से मनुष्य आकाश में उड़ने लगता है, जहा जाना चाहे
वहाँ जाता है। मन्त्र :--ॐ नमो आदेश गुरुकु सेंदुरिया चलै असा वीर नरसिह चलै असै वीर
हनुमंत चलै लट छोड़ मरे पाय पर मेरी भगती गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
विधि :
लवार के दिन अपने शरीर मे उबटन लगावे, फिर उबटन उतारे। उस शरीर के मैल का एक मनुष्याकार पुतला बनावे । उस पुतले के माथे मे सिन्दूर की टीकी सोलह लगाना, सोलह २ बार एक टीको लगाते समय सोलह २ वार मन्त्र पढना, इस प्रकार सोलह दिन तक करना प्रत्येक दिन का मन्त्र व टीकी २५६ हुई । इस प्रकार करने से वोरा, यक्ष प्रत्यक्ष होता है । प्रत्यक्ष होते ही उससे वचन ले लेवे जो आज्ञा करो
सोही करे। मन्त्र :-थल बांधौ हथौडा बांधौ, अहरन माही, चार खूट कडाही बांधो, बांधो
प्राज्ञा माही तीन सवद मेरे गुरु के चालियौ चढ़ियौ लहरस वाई अनी बांधों सूई बांधौ २ सारा लोहा निकलियो न लोहू पकियो न घाव जिसकी रक्षा
करे गुरुनाथ । विधि :-इस मन्त्र को एक श्वास मे सात बार पढ कर नाक कान छेदन करने से पीडा भी नहा
होगी और पकेगा भी नहीं। मन्त्र -ॐ नमो भगवते चंद्रप्रभ जिनेन्द्राय चंद्र महिताय चन्द्र कीति मुख रंजनी
स्वाहा। विधि :-इस मन्त्र को चन्द्र ग्रहण के दिन रात्रि मे जपने से विद्या की प्राप्ति अच्छी होती है।