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________________ लघु विद्यानुवाद विधि : - इस मन्त्र का विधान मंगल के । दिन से आरम्भ करे । गुलाब का इत्र अपने शरीर पर लगावे । गुलाब के फूल चढावे एक चौकी पर या श्राले मे चमेली के फूलो का चौको चबूतरा बना ले । वहा देवो की स्थापना करे । धूप बत्ती जलावे, धूप खेवे, धूप मे जावित्र अवश्य मिलावे, गाय के घी का दीपक जलावे, मिष्ठान्न चढावे और आम्रफल विशेष रूप से चढावे । नित्य प्रति प्रथम नेमिनाथ स्वामी को पूजा करके देवी की पूजन करना । मन्त्र :- ॐ कुरु कल्लो हां स्वाहा । विधि :- लाल वस्त्र पहिनकर एकान्त मे एक लाख जप करे तो आकर्षण होता है । मन्त्र : -ॐ हूं हूं सं सं श्रमुकं फट् स्वाहा । विधि :- विधि भडारित कर दी गई । १७६ मन्त्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं प्रर्ह नमो । विधि :- खाने के सात पान ऊपर एक श्वाश मे मन्त्र लिखना, और खिलाना जिसको खिलाओ वह वश में होय । विधि मन्त्र :- ॐ नमो विकराल रूपाय महाबल पराक्रमाय प्रमुकस्य भुजवत्सलं बंधय २ दृष्टि स्तभय २ अंगानि धुनय २ पातय २ महीतले हुँ । :—इस मन्त्र का एक हजार जप करे और शत्रु का मन्त्र मे नाम डाल दे तो शत्रु की शक्ति का छेद हो जाता है । जड के समान हो जाता है । मन्त्र — ॐ नमो कालरात्री त्रिशूलधारिणी मम शत्रु सेन्यं स्तंभनं कुरु २ स्वाहा । विधि -भौ वारे गृहीत्वा तु काकोल्लूकपक्षयो, भूर्येपत्रे लिखेन्मत्र, तस्य नाम समन्वित गोरोचन गले वध्वा, काकोल्लूकपक्षयो सेनाना समुख गच्छेत् नान्यनाश करोदित शब्द मात्रे सैन्य मध्ये, पलायतेति निश्चित राजा, प्रजा, गजा श्चश्व, नान्यथा च महेश्वरी । तथा : मन्त्र :- ॐ नमो भयंकराय परम भय धारिणे मम शत्रु सैन्य पलायनं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को भौमवार कू काला कौवा श्रौर उल्लू के पख लेकर इस मन्त्र को भोजपत्र पर लिखकर गले मे बाधना । उन दोनो पंखो के साथ, फिर शत्रु की सेना के सन्मुख जावे तो सेना देखते ही भाग जावे ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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