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लघुविद्यानुवाद
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हु फट् ठ ५ बलि गृन्ह २ धूप गृन्ह २ पुष्पाणि गृन्ह २ नैवेद्य गृन्ह २ नानाविध वलि गन्ह २ सर्व रोग अपहर २ वा वी व व वर्द्धमान स्वामिने स्वाहा । ॐ पन्नती गधारी वइरोटा माणवी महाजाला अव्वुत्ता पुरिसदत्ता काली गौरी महाकाली अप्पडीहया रोहणी वज्र कुसा वज्जसिखला माणसी महामारणसी एयाउ मम सन्ति कराखे मकरा लाभ करा हवतु स्वाहा ॐ अढे वय अट्ठसया अट्ठ सहस्सय अट्ट कोडीऊ रक्खतु मे सरीर
देवा सुरपणमिया सिद्धा स्वाहा । विधि :- मस्तके वाम हस्त चालयद्भि स्वस्परक्षाक्रियते । मन्त्र :-ॐ नमः देवपास सामिस्स संसार भय पारगामिस्स ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी में
कुरु कुरु देवी पद्मावती भगवती ह्रीं स्वाहा ॐ चोरारि मारि विसहर गर भयरिण रायदुट्ठ जलणेय गहभूय जरक्ख रक्खस साइणि दोसं पणासेउ मम देवोपास जियो स्वाहा ॐ ह्रीं श्रीं मां लक्ष्मी
स्वाहा। विधि :-सात धान्य को इस मन्त्र से २१ बार मन्त्रित करके सातो धान्यो को पृथक-पृथक तोलकर
पृथक-पृथक पुडिया बाध लेवे फिर २१ बार मन्त्रित करके सिराणे रखकर सो जावे फिर प्रात उठकर उन धान्यो की पुडिया को तोल लेवे, जो धान्य वजन मे बढ जायगा
वह धान्य ज्यादा पैदा होगा वकाल मे । मन्त्र :-मुहि चंदप्पह ज्जहियइ जिणुम थइ पारस वथु ईण इमु छ इं मुछकिय को ही
लणह समुथु। मन्त्र :-ॐ शांते शांति प्रदे जगज्जीव हित शांति करे ॐ ह्रीं भयं प्रशम २ भगवति
शांतेमम शांति कुरु २ शिवं कुरु कुरु निरुपद्रवं कुरु कुरु ॐ ह्रां ह्रीं हहः
शांते स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को तीनो समय (टाइम) जपने से निरुपद्रव होता है। मन्त्र :--ॐ नमोअरहो वीरे महावीरे सेरणवीरे वर्द्धमान वीरे जयंते अपराजिए
भगवऊ अरहस्स जिणिद वरवीर आसरणस्स कु समय मयप्पणासरणस्स भगवऊ समण संघस्स में सिद्धासिद्धाइया सासरण देविनि विग्धं करणउ
सानिष्यं स्वाहा। विधि :-इस मन्त्र का नित्य ही स्मरण करने से किसी प्रकार का उपद्रव नही होता है।