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लघुविद्यानुवाद
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विधि -इस मन्त्र का स्मरण करने से विसुचि (हैजा) रोग का स्तम्भन होता है । मन्त्र - ॐ ज्वल २ प्रज्जवल २ श्री लंका नाथ की आज्ञा फुरइ । विधि -- इस मत्र का स्मरण करने से अग्नि प्रज्ज्वलित होती है। मन्त्र :-ॐ अग्नि ज्वलइ प्रज्जवलइ डभइ कट्ठह भारु मई वे सन रुथं भियउ अग्नि
हिं पडउतु सारु । वधि -अनेन मत्रेण कटाहा मध्यावटका कृष्यते । मन्त्र :--ॐ पुरुषकाये अद्योराये प्रवेग तो जाय लहु कुरु २ स्वाहा । विधि :-इस मत्र से सरसो २१ बार जप करके सिर पर धारण करे तो सर्व कार्य सिद्ध
होता है। मन्त्र :---ॐ नमो कृष्ण सवराय वल्गु २ ने स्वाहा । विधि :-इस मत्र को हाथ से २१ बार स्वय को मत्रित करके जिसको भी स्पर्श करे वह वश मे हो
जाता है। मन्त्र -ॐ भगवती काली महाकाली स्वाहा । विधि - -सवेरे मूह धोकर इस मत्र से हाथ मे पानी लेकर ७ बार मत्रित करे और फिर जिस
व्यक्ति के नाम से पीवे वह व्यक्ति वश मे हो जाता है। सात दिन तक इसी प्रकार
जल पीवे। मन्त्र -ॐ नमो भगवती गंगे काली २ महाकाली स्वाहा।। विधि -वाम पाव के नीचे की मिट्टी को वाम हाथ से ग्रहण करे फिर उस मिट्टी को ७ बार
मत्रित करे फिर अपने मुख पर लगावे (मुख खरद्यते) फिर राज कुल मे प्रवेश करे और
जैसा राजा को कहे, वैसा ही राजा करे। मन्त्र ---ॐ नमो मोहिणी महामोहिणि राजा प्रजा क्षोभणी पुरपट्टण मोहरणी त्रिपुरा
देवीकपाल बसै अमृत्तटिलोनीतधरे दुष्ट रंजनमुस्छ भरग स्वाहा ।। विधि -सात या एकवीस बार मत्र पढकर तिलक करे, मोह न होय । मन्त्र :--ॐ नमो रुद्राय अगिर्धाग रंगि स्वाहा । विधि -श्वेत सरसो को इस मन्त्र से ६० बार मन्त्रित करके जिसके माथे पर डाले तो सवयी
भवति विशेषत ।