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________________ १२० लघुविद्यानुवाद पुजखडहडंत पाडइ हिडव गंठ्ठि मोर गंठेरण वाप हणु वीरणी शक्ति फुरइ सयं जरु त्रेता ज्वरु वेला ज्वरु एकांत्तरऊ हणुवीरगी शक्ति फूरइ । विधि :-इस मन्त्र से डोरा मन्त्रित करके बॉधने से ज्वर का नाश होता है । मन्त्र :-डूंघ भू। विधि -इस मन्त्र को भयानक स्थान पर स्मरण किया करे । मन्त्र :- ॐ ह्रीं मायागे सरस्वस्यै नमः । विधि :-बोध सारस्वत मन्त्र । चद्रा नना स्वरा भोधी वाड्मयी च सरस्वती ह्र च्चद्र मडल गताध्याये सारस्वत महत् । मन्त्र :-ॐ ह्री ठः श्री वीस पारा उल केरी आज्ञा श्री घंट्टा कर्णकेरी प्राज्ञा फुरइ । विधि -उसरणो वात मन्त्र । मन्त्र -ॐ नमो लोहितपिंगलाय लघु २ हलु २ विलु २ ह्री स्वाहा । विधि :-कसु भल रक्तसूत्र स्त्री प्रमाण कृत्वा शिरस उपरी अगुल ४ कृत्वा ऽनेन् मत्रेणभि । मत्र्य व ध्रीयात वा मपादल ध्वगुलि काया गर्भो न रक्षति पानीय चलूक ३ अभिमत्र्य दीयते गर्भो न क्षरति । मन्त्र :-ॐ तद्यथा गर्भधर धारिणी गर्भरक्षिरिण आकाश मात्रीकै हुं फट् स्वाहा। विधि .-इस मन्त्र से लाल डोरे को २१ बार मत्रित करके स्त्री के कमर मे बाँधने से रक्त स्राव __ रुक जाता है। मन्त्र -ॐ नमो लोहित पिंगलायः मातंग राजानो स्त्रीणां रक्तं स्तंभय २ ॐ तद्यथा हु सुरलघु २ तिलि २ मिलि २ स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से लाल डोरे को २१ बार मन्त्रित कर ७ गाठ लगाकर स्त्रियो के वाम पाव के अँगूठे मे बाँधने से रक्त स्राव रुक जाता है। मन्त्र :-ॐ रक्त २ वस्त्रो पु फु रक्त वाक्त स्वाहा । विधि :-अनेन कसु भ रक्त सूत्रेण अन्हढ हस्त दवरक वटित्वा अघा घाडा मूल बधित्वा वार ७ अभिमन्यते रक्त वाहक नश्यति । मन्त्र -ॐ भीमाय भूमि पुत्राय मम् गर्भ देहि २ स्थिर २ माचल माचल ॐ का क्री कौ उ फट् स्वाहा ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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