________________
११८
लघुविद्यानुवाद
विधि -मासमेक दशमी मारभ्य १०८ जपित्वा पचमी दशम्योविशेषतः तप कार्य यामिन्यद्धि
अविचलेन वार ७ जाप्य ।। अयं यत्र लेखन विधि .-बसन्तु १ ग्रीष्म २ प्रावृट ३ शरद ४ हेमन्तु ५ शिशिर ६ एक दिन
मध्ये षट् रितवो भवति दश २ घटिकाः प्रत्येक ऋतु प्रमाण अहोरात्रि मध्ये पट् भवति घटिका ६० आदित्योदयात् बसत ऋतु घटिकाः १० तत्राकर्पण १ ग्रीष्मे/द्वेषण २ प्रावृटे, अपरान्हे उच्चाटण ३ लिखेत् सर्वत्र योज्य शिशिरे मारण लिखेत् ४/शरदे शातिक लिखेत् /५ हेमते पौष्टिक लिखेत् ६/ पन्नगाधिप शेषरा विपुलारूणा वुजविष्ट राकुकुटोरग वाहना अरुण प्रभा कलला ननाय बिका वरदा कुशायतप शादिव्य फलाकित्ताचितयेत पद्मावती जपता सता फलदायिनी दिक्काल मद्रासन पल्लवाना भेद परित्ताय जपेत्समन्त्री न चान्यथा सिध्यति तस्यमन्त्र. । दा तिष्ठति जाप्य
होम। मन्त्र .-ॐ ह्रीं महाविद्य प्रार्हति भागवति परमेश्वरी शाते प्रशांते सर्वक्षुद्रोप
शामिनि सर्व भयं सर्व रोगं सर्व क्षुद्रोपद्रवं सर्व वेला ज्वरं प्रणाशाय २
उपशमय २ अमुकस्य स्वाहा । विधि -बार ७४३१०८ अनेन मत्रेण दवरक वासादिमभिमत्र्यते । मन्त्र :--- ॐ ह्रीं श्री चंद्र वदनी माहेश्वरी चंडिका भूतप्रेत पिशाच विद्रापय २
वज्रदंडेन महेश्वर त्रिशूलेनदी वीर खङ्गन चूरय २ पात्र प्रवेशे २ ॐ छां
छीं छू छः फट् स्वाहा । विधि :-प्रथम १०८ बार इस मन्त्र का जाप्य करे, फिर डोराको २१ बार मन्त्रित करके बाध देने
से सर्व प्रकार के ज्वर का नाश होता है।
मन्त्र :-ॐ अतिशनैश्वराय। विधि -इस मन्त्र का जाप करने से शनि की पीडा दूर होती है । मन्त्र :-लोहु स्वाहु लोहु पीयउ लोह ही दर दितु चंदसुर राजा अनुनाही कोइ
राजा । विधि -इस मन्त्र से फोडे को ७ बार मन्त्रित करने से फोडा (घाव) अच्छा होता है। मन्त्र :-ॐ लक्ष्मी प्रागछ २ ह्री नम अरे ॐ नमः सोषा महाप्रचंड वीर भूतान्
हन २ शाकिनी हन २ मुंच २ हुं फट् स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से जाप करे तो सर्व दोष की शान्ति होती है।