SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघु विद्यानुवाद विधि :- स्मरणादेव पूजापुरःसर कर्त्तव्येति । मन्त्र — ॐ ह्रीं श्रीं कुष्मांडि देवि मम् सर्व शत्रु वशं कुरु २ स्वाहा ॐ ह्रीं क्लीं सर्व दुष्टेभ्यो मां रक्ष २ स्वाहा । विधि उपलब्ध नही है । मन्त्र — ॐ खुर खुरीभ ठः ठः स्वाहा । विधि उपलब्ध नही है । मन्त्र :- ॐ भद्र यटा मल धरति सु ठः ठः स्वाहा । विधि उपलब्ध नही है । मन्त्र :- ॐ हं स्वाहा । विधि १०६ -- - मघा नक्षत्र से अपा मार्ग की कील ४ प्रगुल इस मंत्र से सात बार मन्त्रित करके जिसके घर मे गाड दिया जाय वह वश मे जाता है । मन्त्र :- ॐ सिली खीली स्वाहा । विधि - अनुराधा नक्षत्र मे सरीष की कील प्रगुल ४ प्रमाण इस मन्त्र से सात बार मन्त्रित करके जिसके घर मे डाल दिया जाय, वह वश में हो जाता है यदा तस्य सत्कपुष्पो परिकीलिका मारीजते तदा स्वस्त्रियो वशी भवति । मन्त्र :- ॐ स्वदार दार स्वाहा । विधि :- स्वाति नक्षत्र मे बाडि ( बगीचा) की कील अंगुल ४ प्रमाण इस मन्त्र से ७ वार मन्त्रित करके तेल से बर्तन भरकर उस तेल मे वह कील डाल कर तेल से युक्त बर्तन को जिस घर 'गाड़ देवे तो तेल न भवति । मे मन्त्र :- ॐ तटमर्टय स्वाहा ॐ व्याघ्र वदने व्रज देवी सप्त पाताल भेदिनी यज्ञक्ष प्रतिक्षोभिरणी राजा मोहिनी त्रैलोक्य वंश करणी परसभा जय २ ॐ ह्रां ह्री फट् स्वाहा । विधि इस मन्त्र को १०८ बार जपने से प्रतिवादी की जिह्वा का स्थाभन होता है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy