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१०८
विधि
लघुविद्यानुवाद
एक रूप मेल्हि उजेरिण महि कालि गगन खाली भूत पंचास वांधि चेडउ वांधि चेटकु वधि एकंतरु बांधि वेंतरउ बांधि त्रेयतरउ बांधि चालंतर दोषु चरडकइ काटि ।
- इस मन्त्र से कन्या कत्रित सूत्र मे ३ गाँठ लगाकर उन तीनो गाठ के पुट) डाले फिर उस डोरे को हाथ मे बाँधे तो एकातरादि ज्वर का प्रत्यक्ष बात है ।
मन्त्र
- यं रं लं वं क्षः ।
विधि - वलि कृष्ण कबल दवरकेनअनेन वार २१ जपित्वा बघयेत वलिर्याति ।
मन्त्र
मध्य मे ( कोलिया नाश होता है ।
मन्त्र :- ॐ तारे तु तारे वीरे २ दुर्गा दुत्तारय २ मां हुं सर्व दुःख विमोचिनी दुर्गोत्तारणी महायोगेश्वरी ह्रीं नमोस्तुते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्र सरसुं सः हर हुं हः स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र का १०८ बार स्मरण करने से सर्व शांति होती है । सर्व उपद्रव का नाश
होता है ।
- ॐ नमो भगवऊ पासनाहस्तथं भेउ सव्वाउ ईई ऊजिरणा एमा इह अभि भवंतु स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र को १०८ बार जाप करने से, इति का उपशम होता है। जिस क्षेत्र में इस मन्त्र से भस्म और अक्षत १०८ मन्त्रित करके फेकने से और इस मन्त्र को भोज पत्र पत्र लिखकर खभे पर बाधने से किसी प्रकार की इति नही होती है ।
मन्त्र :- ॐ नमो शिवाय ॐ नमो चंड गरुडाय क्लीं स्वाहा श्री गरुडो श्राज्ञापयति स्वाहाविष्णुं क्लीं २ मिलि २ हर २ हरि २ फुरु २ मूषकान् निवारय निवारय स्वाहा ।
विधि :- इस मन्त्र से सरसो मन्त्रित कर डालने से चूहे नही रहते है |
मन्त्र :--- ॐ प्रसन्न तारे प्रसन्ते प्रसन्न कारिणि ह्रीं स्वाहा ।
विधि :- इस मन्त्र का जाप करने से शाति मिलती है ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्री ब्रह्म शांते श्री मदंवि के श्री सिद्धाय के श्री श्रछुप्ते श्री सर्व देवता मम् वांछितान् कुर्वन्तु सर्व विघ्नानिशतु सर्व दुष्टान् वारयंतु ही श्री श्री स्वाहा ।