________________ लघुविद्यानुवाद कालि 8 किरिमेरि पिरिमेर सिरि मेरि सरिय होइहिरि मेरि पायरियमेरि पय मपि साहंते सूरिणो सरिमो // 6 // विधि -इयमत पय समेया थुणिया सिरिमाण देव सूरीहि जिणसिद्ध सूरि पमुहा दितुथुण तारण सिद्धिपय / / 10 // मन्त्र :-ॐ नमो गोयमस्ससिद्धस्स बुद्धस्स अवखोरणं महारिणसस्स पत्त पूरय पूरय स्वाहाः / ॐ दिट्ठी मखा विलट्टी श्री उज्जेणीम चरंती ब्रह्मधीय वलवती तासु पसाई श्रम्ह सिद्धि लद्धि बलं त्रिभुवनं वशीकरं (प्रात्मरक्षा मन्त्र) उच्चिट्टीवर प्रसादात् सर्व सिद्धि तरकणा होइ शांतिदेव की प्राज्ञा फुरइ / मन्त्र :-ॐ एकवर्ती सीसवर्ती पंच ब्राह्मण पंचदेव गरुडनी कंचुली पहिरइ मनुनि भ्रन्तु वालु वालिहिं विछिय हवालह नदी प्रवेसु हाथ रक्खउ पागरक्खउ वलिशंकर जीउ राखउ नारसिहरण उ बंधु पडइ श्री स्वामिनीरणी आजा फुरइ / विधि - वज्र तारावर प्रशादात् सर्वसिद्धि तरक्करणा होड शान्ति देवतणी आज्ञा फुरइ / मन्त्र :-कालीनागिणी मुहिवसइ को विस कट उ रवाइ अंगि अंगि अम्हहरू वसइ कोसंमुहउ न छाइ। विधि -इस मत्र को 3 बार पढकर अपने वस्त्र के अन्तिम छोर पर बाये हाथ से गॉठ लगावे ता मार्ग मे किसी प्रकार का भय नही होता है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ गोयमस्स सिद्धस्स बुद्धस्स अक्षीण महारणसस्स त्तर 2 ॐ अक्खीण महाणसस्स स्वाहा / विधि :-स्मरण मात्र से ही लाभ करता है / मन्त्र :-ॐ अढे मढे चोर घट्टे सर्व दुष्ट भक्षी मोहीनी स्वाहा / विधि .-इस मन्त्र से पत्थरो को मन्त्रित करके दशो दिशामो मे फेकने से चोरो का भय नहीं होता है। मन्त्र :-प्राइवंसे चाइ वंसे अच्चलिय पच्चग्रलियं स्वाहा / विधि -इस मन्त्र को स्मरण करने से मार्ग मे भय नही होता है / मन्त्र :-ॐ धनु धनु महाधणु 2 कट्टि जंतंसयं न देइ आरोपित गुण /