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लघुविद्यानुवाद
विधि -इस मन्त्र से अपने शरीर को मन्त्रित करके सो जावे तो स्वप्न मे शुभाशुभ का ज्ञान हो।
मार्ग चलते समय स्मरण करने से सर्प, व्याघ्र, चोर, आदि का भय नही रहता है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ, चंदप्पहस्स सिज्झ (ष्य)ऊ मे भगवइ महवइ
महाविद्या चंदे चदप्पभे अइप्पभे महाप्पभे ठः ठः ठ स्वाहा । विधि .-दो उपवास करके इस मन्त्र को आठ सौ बार जाप करके पानी सात बार मत्रित करके
उस पानी से जिसका मह धुलाया जायगा वह सर्वजन का इष्ट हो जायगा अथवा पानी
को २१ बार मत्रित कर स्त्री या पुरुष को देने से चन्द्र के समान सर्वजन का इष्ट होता है । मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ पुष्पदंत्तस्स सिज्झ (व्य)ऊ मे भगवइ महवइ
महाविद्या पुफ्फ, महापुपफे, पुफ्फसुइ ठः ठ ठः स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को दो उपवास करके आठ सौ बार मत्र जपे फिर इस मन्त्र से फल को अथवा
पुष्प को २७ वार मत्रित कर जिसको दिया जाय वह वश मे हो जाता है । मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ सियलजिएस्स सिझ (प्य ) उ मे भगवइ महवड
महाविद्या सीयले २ पसीयले पसंति निव्वुए निवारणे निव्वुएत्ति नमो भवति
ठः ठ. ठः स्वाहा । विधि :-इस मत्र को दो उपवास करके २१ बार पानी मत्रित करके अॉख के रोग पर या शिरोरोग
पर, आधा शिशी रोग पर, फौडा-फुन्सी के रोग पर, परीक्रमा रूप मत्रित पानी को छीडके तो रोग अच्छा हो जाता है।
मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ सिद्य सस्स सिज्झ (ष्य)उ मे भगवइ महवइ
महाविद्या सिज्जसे २ सेयं करे महासेयं करे पभं करे सुप्पभं करे ठ स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को उपवासपूर्वक रात्रि मे पुष्पो से आठ सौ जाप करे। भूतेष्टाया रात्रौ सर
जो बलि कर्म (साष्टशत । जापम् । कुर्यान्मोच्य चबहि स स्वस्थ श्चन्द्रराशिविद्या, उपद्रव जगल चाउदिसे सुगहेयव्व सुद्धवलि कम्म कायव्व तवाहिय च चउदिसि परिक्ख कम्म
कायव्वैतऊ सुह होइ। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ वासुपुज्यस्स सिज्झ (प्य)ऊ मे भगवइ महवइ
महाविद्या वासुपुज्ये २ महापुज्ये रूहे ठः स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को उपवासपूर्वक आठ सौ बार जाप करके सो जावे फिर जो स्वप्न मे शुभा
शुभ दीखेगा, वह सब सत्य होगा। ज किचि अप्पण छाए पर छाएवा नाउकामेण