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है भैरण पावती कस्सी
सप्तम परिच्छेद वश्य यन्त्र
यत्र सख्या ३१ दाहज्वर शांत करनेका यन्त्र
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हसः वृताभिधानं मलवरयषष्ठस्वरान्वितं कूटम् । बिन्दुयुतं स्वरपरिवृतमष्टदलाम्भोजमध्यगतम् ॥ १ ।। भा. टी०-हंसा पदसे घिरे हुये नामको दायूं बीजसे घेरकर उसको स्वरोंसे घेर दे और उसके चारोंओर एक अष्टरल कमल बनाने।