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________________ [८] ऐसा प्रतीत होता है कि-सुकुमारसेन मुनिने विद्यानुवादके कमसे कम कुछ अवतरणोंको अवश्य देखा होगा। क्योंकि विद्यानुशासनमें उन्होंने विद्यानुवादके कुछ अवतरणोंको दिया है। ___ इस विधानुशासनमें वतलाया गया है कि चौबीस तीर्थकर की चौवीस शासनदेधियोंके कभी चौबीसों कल्प उपस्थित थे. फिर भी सुकुमारसेन मुनिके वर्णनसे यह पता चलता है कि उन्होंने कुल चार कल्प ही देखे थे १-भैरव पद्मावती कल्प। २-ज्वालामालिनी कल्प । ३-अम्बिका कल्प। ४-चक्रेश्वरी कल्प। विधानुशासनमें प्रथम तीन फल्पोंके पश्चात् अवतरण पाये जाते हैं, किंतु चक्रेश्वरी कल्पका, कोई अवतरण हमारे ध्यानमें नहीं पाया। इनमें से हम पिद्यानुशासनके अतिरिक्त भैरव पद्मावती कल्प तथा ज्वालामालिनी कल्पकी भाषाटीकाएं बना चुके हैं । अम्बिका कल्पकी मूल प्रति हमने श्री महावीरजी अतिशयक्षेत्रके पुस्तकालयले प्राप्त की थी, किन्तु चक्रेश्वरी फल्पकी प्रतिके अस्तित्वका अभीतक भी हमको पता नहीं लग सका है। इनमेंसे भैरव पध्मावतीकल्प अपनी भाषाटीका सिहत पाठकोंके सन्मुख उपस्थित किया जाता है। ग्रन्थकारका परिचय भैरव पद्मावती कल्पके रचयिता श्री मल्लिषेण मुनि थे। उनके प्रन्धकी प्रशस्तिमें उमय भाषा कवि चक्रवर्ती, करिशेखर तभा गाठड़मत्रवादवेदी आदि उपाधियां लिखी मिलती है। उनसे पता चलता है कि उनका संस्कृन तथा प्राकृत दोनों भाषामोंपर
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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