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________________ [४] तैयार किया है। अतः यदि आप इनमेंसे कुछ छपाना चाहे तो हम दे सकते हैं। इससे हमने आपकी ये सब प्रेस कापियां मंगाकर देखीं और इनमें से प्रषस "भैरव पद्मावती कस्प" प्रकट करनेकी स्वीकारता दे दी जो उन्होंने ठीक करके पीछेसे ची.पी.से सूरत भेज दी थी। एक दो साल तो इसे हम नहीं छपा सके फिर इसके छापने का कार्य प्रारम्भ किया और ४८ पृष्ठ छप चुके तव मालूम हुआ कि मन्त्रशानके इसके विधानोंमें कहीं कहीं अशुद्ध चीजोंका व कहीं वहीं हिंसक चीजोंका विधान है। अतः हम असमंजसमें पड़ गये कि इसे छापे या नहीं और इस विचारमें उस समय इसका मुद्रण कार्य रोक लिया गया जो १४-१५ वर्षों तक रुका रहा । इस वीचमें कई पंडितोंकी हमने बार बार राय ली तो कईयोने कहा कि इसे नहीं छपाना चाहिये तो कईयोंने कहा कि कापड़ियाजी, इसे अबश्य छपाना चाहिये, और नोट कर देना चाहिये कि मन्त्रशास्त्रोंमें अशुद्ध चीजोंका विधान कहीं कहीं आता ही है। अत: इन्हे साधन करनेवाले विचार करके ही इन विधानों को करें या न करें। ___ अतः हमने इस "भैरव पद्मावती कल्प" मन्त्रशास्त्रको ४९ पृष्ठसे पुनः छपाना प्रारम्भ किया और पूर्ण करके यह मंत्रशास्त्र प्याज प्रशाशमें आ रहा है, जो ४६ यन्त्र सहित है। श्री० प० चन्द्रशेखरजी शास्त्रीने इसकी विस्तृत प्रस्तावना (विषय सूची व यन्त्र सूचि सहित) लिख भेजी है (जो आगे प्रगट है) उसके लिये हम आपकी इस साहित्य सेवाका बड़ा उपकार मानते हैं। आपने जिस विद्वत्ता व परिश्रमके साथ इसकी प्रस्तावना लिखी है वह विद्वानोंके पढ़ने योग्य है। इस ग्रंथके साथमें, हमने विचार किया कि पद्मावती महसनाम स्तोत्र, छन्द, पूजा आदि रख दिये जानें तो क्या
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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