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________________ IN ERROREसकसwL REETर प्रथम आवृत्तिका निवेदन ETRधरा ROSERm Rilm जैन शास्त्रों में मंत्र-शात्रों व औषधि-शास्त्रोंकी कमी नहीं है उनमें करीव १२ वीं शताब्दिमें होनेवाले श्री मल्लिषेणसूरि कृत श्री भैरव पद्मावती कल्प, ज्वालमालिनी कल्प, अम्बिका कल्प, चक्रेश्वरी कल्प मंत्र-शास्त्रकी महिमा अपार है, और ये अन्ध आजतक न तो मूल या मूळ और टीका सहित प्रकट हुये हैं। क्योंकि ये असाधारण ग्रंथ नहीं हैं अतः ऐसे मंत्र-शास्त्र के प्रथ प्रकट होनेकी चड़ी आवश्यकता थी और है। और आजतक ऋषिमंडल स्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र, यन्त्रमन्त्र सहित व कल्याण मन्दिर स्तोत्र यन्त्रमन्त्र न साधतविधि सहित प्रकट हो चुके हैं। लेधिन 'भैरव पद्मावती इल्प" जो मन्त्रशास्त्रोंका भण्डार है, अभीतक प्रकट नहीं हुआ था क्योंकि इसका संकलन ब हिन्दी टीका करना सहज कार्य नहीं था ब जहां यह ग्रन्ध था उनके स्वामी यह देना व छपलाना नहीं चाहते थे। ऐसी परिस्थितिमें करीब २४ वर्षों की बात है जब कि हम खकुटुम्ब शिखरजीकी यात्रा करते हुये देहली आये थे और धर्मपुराकी धर्मशालामें ठहरे थे जिसकी सूचना पाते ही इस अन्धके अन्वेषक व हिन्दी टीकाकार श्री पं० चन्द्रशेखरजी शस्त्री जो काव्यसाहित्य, तीर्थाचार्य, व प्राच्य विद्यावारिधि हैं, हमको मिलने के लिये भाये थे, उन्होंने जैन साहित्यही चर्चा करते हुए बताया कि जैन मन्त्र शास्त्र अगाध है और हमने यहांके शास्र भण्डारसे बड़ी मेहनतसे भैरब एमावतीकल्प, बालामालिनी कल्प, अम्बिका कल्प, मन्त्र व्याकरण व बीजकोष प्राप्त करके उनकी प्रेम कोपी की है तथा सरका हिन्दी अनुवाद भी हमने
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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