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PA भैरव पद्मावती कल्प
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- यंत्र संख्या ४५ सर्प निवारण यन्त्र
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प्रेषितो हवनेनेति मा कस्यापि पुरो वदेद ।
अन्यमन्त्रेण मा गच्छ मानवं भक्षयामुकम् ॥ २५ ॥ भा० टी०-और इससे कहे 'तू इसके अतिरिक्त दूसरे मन्त्रसे मत जा और अमुक व्यक्तिका भक्षण कर।' किन्तु इस प्रकार उसको इनके द्वारा भेजनेका वृतान्त किसीसे न कहे।
दूतको गिराकर रोगीको अच्छा करना फणिदष्टशरीरान्तः स्वाहामन्त्रतो विषम् । हत्या सोमं सबदागरतं मन्त्रेण पातयेत् ॥ २६ ॥
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