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भैरव पद्मावती करूप
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यत्र संख्या ४४ नागप्रेषण मन्त्र
(Akshupa
नागप्रेषणमंत्रोऽशीतिसहस्र देशांशहोमेन ।
सिध्यति जाप्येन पुनः शोणित करवीर पुष्पाणाम् ॥ २३ ॥ “ॐ नमो नागपिंशचि रक्षाक्षी शिभृकुमुखी उच्छिष्ट दीप्त तेजसे एहिर भगवति गृहर हुं फट् स्वाहा । "
यह नामको छोटेर कामोंमें बगानेका मन्त्र अस्सी सहस्र जप और बाल कनेर के फूलोंके दशांश होमसे सिद्ध होता है । बल्मीकनिकटे होम कुर्यात्त्रिमधुगन्वितम् ।
मन्त्रसिद्धौ तमाज्ञाप्य प्रेषयेदुरगेश्वरम् ॥ २४ ॥
भा० टी० - इस अनुष्ठानको धृत, मधु और दुग्ध सहित बल्मीकके पास करे | जब मंत्र सिद्ध होने पर नागं आवे तो उसे इच्छित स्थान पर भेजे ।