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भैरव पद्मावतो कल्प
- भा० टी०- ब्लें वीजको त्रियोंके गुझस्थानमें सिन्दूरके वर्णका ध्यान करनेसे देखते हो खो द्रवित हो जाती है और सात दिनके अन्दर२ ही आ जाती है।
किसीको ज्वर लानेका मन्त्र
ब्राह्मगमस्तककेश कृत्वा रज्जु तया नरकपालम् । आवेष्ठय साध्यदेहोद्वर्तनकेशनखरपादरजः ।। ३३ ।।
भा० टो०-ब्राह्मण सिरके बालोकी रस्सी बनाकर उससे एक नर कपालको लपेटे और फिर साध्य पुरुषके शरीरके मल. विष्टा, केश, नख और पैरको धूलको लेकर ।
मनु जास्थि चूर्ण मिनं कृत्वा तनिक्षिपेत्पुरोक्तपुटे । अरयति मन्त्रस्मरणात्सप्ताहाद चिमधनेन ३४ ॥
भा० टी०-उसको मनुष्यको हडोमें मिलाकर सबका चूर्ण करके उसको पहिले नर कपाळमें डाल दे। तब मन्त्र जपते हुये हड्डोको गडनेसे शत्रुको एक सप्ताहके अन्दर२ ज्वर हो आता है।
मन्त्रोद्धार
"ॐ नमो चण्डेश्वर चण्डकुठारेण अमुकं गरेण हो गृहर भारय हुं फट थे घे।" .
चण्डेश्वराय होमान्तं संजपेद्विनयादिना । सहस्रदशकं मन्त्री पूर्वमारुणपुष्पकैः ॥ ३५ ॥ भा० टी.-मन्त्री पहिले ॐ चण्डेश्वराय स्वाहा' इस मन्त्रका गड कनेरके पुष्पोंसे दए साल जप कर लेवे।