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उवासगदसाणं पमं अभयणं ।
भगवं महावीरं वन्दाहि जाव* पज्जु वासाहि', समणस्स भगवा महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणव्वइयं सत्तसिक्वावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जाहि" ॥ ५८॥
तए णं सा सिवनन्दा भारिया आणन्देणं समणेवासरणं एवं वुत्ता समाणा' हट्टतुट्ठा कोडुम्बियपुरिसे सदावेइ, २त्ता एवं वयासी । "खिप्पामेव लहुकरण " जावो पज्जुवासइ ॥ ५६ ॥
तर णं समणे भगवं महावीरे सिवनन्दाए१ तीसे य महइ जाव धम्म ३ क हेइ ॥ ६० ॥
तर णं सा सिवनन्दा समणस्स भगवा महावीरस्म अन्तिर धम्मं सेोच्चा५ निसम्म६ हट्ट जावट गिहिधम्म पडिवज्जइ. २त्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं
* See footnote || onp.५.
Sve footnote * on p.o.
+ See the supplement in 5 206. § See footnote on p. 5.
2 B पजवासाहि। २DE अतियं । ३ A विहिं। ४B खन्न वत्ता समाणा। ५ C adds जाव after it. ६ D काडम्बि०। ७B बदासी। AC D E करणं। : B पज्जवासह। १० BC D तो समो। २१ D E add भारियाय । १२ A B C D E om. १३ A धम्मक हेति, C धम्मक हार, D E धम्म कहा। १४ C D E यतियं। १५E मुच्चा। १६ B C D E om. १७ DE ०पवरं।