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उवासगदसाणं अट्टमं ग्रयणं ।
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हावौरस्म “तह" त्ति एयमट्टे विणणं पडिसुखेड, २त्ता' त पडिणिक्खमइ', २त्ता रायगिहं नयर मन्द्मं मन्झेणं अणुष्पविसइ, रत्ता जेणेव महासयगस्त समणोवासयस्स गिहे जेणेव महासयर समणावासर तेणेव उवागच्छइ ॥ २६० ॥
तर णं से महासयर समणोवासर भगवं गोयमं एज्जमाणं पासइ, रत्ता हट्ट' जाव* हियर भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ ॥ २६१ ॥
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तर से भगवं गायमे महासययं समणेावासयं एवं वयासौ। “एवं खलु, देवाणुप्पिया, समणे" भगवं महावीरे एवमाइक्वइ भासइ पणवेइ परूवेइ । “नो खलु कप्पइ, देवाणुष्पिया, समणेावासगस्म अपच्छि म जाव वागरित्त "" । तुमे णं, देवाणुप्पिया,
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