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उवासगदसाणं अट्ठम अभयणं ।
णन्तियसले हणाए' झूसियसरौरे भत्तपाण पडियाइक्विए कालं अणवकङ्खमाणे विहरइ ॥२५२॥ .
तए णं तस्स महासयगस्स समणावासगस्स सुभेणं अन्झवसाणेणं जाव खावसमेणं आहिणाणे समुप्पन्ने। पुरथिमेणं लवणसमुहे जायणसाहस्सियं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्विणेणं पञ्चत्यि मेणं, उत्तरेणं जाव चुल्न हिमवन्तं वास हरपव्वयं जाणडू पास इ, अहे इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए लालुयच्चुयं नरयं चउरासौइवाससहस्सटिइयं जाणइ पास इ ॥२५३॥
तर णं सा रेवई गाहावइौ अन्नया कयाइ१२ मत्ता जावा उत्तरिज्जयं विकढमाणौ २२ जेणेव
• See the rest in § 74. † See the rest in $ 246.
2 D E II संले हणाझसिय। २ B D E G I om. ३ B F H सुहेणं । ४ So D G; but B F उहिमाणे । ५ D पुरच्छिमेणं, F पुरित्यिमेणं, G पुरुच्छ मेणं । ६ F G खित्तं । ७ So B FH, but D E G पच्छिमेणं । CG om. : B D E FH om. १० So D H; B लोन्लुच्चयं, E लोलु यच्चयं, F लोलुच्च यं, G लोनुच्च यंतं। ११ B D E F H च उरासोवास०; D E ठियं, G •ठिई। १२ D कदायि । १३ BE विकट्टमाणी, F विकट्ट० ; B D EG om. २; see footnote १० on p. १४८ ।