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उवासगदसाणं चउत्थं यज्झयणं ।
भणइ जाव कणीयसं । “नो खल, देवाणु प्पिया, तुभं केवि' पुरिसे सरीरंसि जमगसमगं सालस रोगायके पक्खिवइ, एस न केवि पुरिसे तुभं उवसग्गं करेइ”। सेसी जहा चुलणीपियस्स तहा' भणइ ॥ १५३॥
एवं सेसं जहा चुल णीपियस्त निरक्सेसं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकन्ते विमाणे उववन्ने । चत्तारि पलिओवमाइं ठिई। महाविदेहे वासे सिज्झिहिद ५४९ ॥ १५४॥
॥ निक्वेवा ॥ सत्तमस्स१ अगस्म उवासगदसाणं चउत्यं अन्झयणं समत्तं ॥
* Supply the full version from $S 110 and 141. + Supply the rest from $ 141. + Suppls the rest from S$ 142-111. ESee footnotes t and १२ on p. ८३.
२ A B F G तुब्भे, see Hem III, 100. २ A B केय, DE G के।। ३ B पक्विवएं, F G पक्खेवइ । ४ A B D E F G णं । ५ So B, but A D E F भद्दा । ६A B D E F om. ७A ट्टिई, E ठिइ, F हि। ८E सि भिहिंति, F सिझहिति। A Bom, F४ | १० DE निक्खेवयो। ११ A B D E F om. १२Fom.