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दीघनिकाये महावग्गटीका
दीघनिकाये महाबरगटीका
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सा एसा परमत्थानं-५७ साधू सम्बहुला ञाती अपि रुक्खा अरअजा-२१५ सुआगारं पविट्ठस्स - २४५ सुत्वादीनवस त्तं-६४
हीनेन ब्रह्मचरियेन-६१
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