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________________ [२४] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गटीका [प-प] परमत्थतो-५, १४, ३७, ४२, १२४, १३२, १३५, | परिभोगपञ्ञा-३५७ १५३, १६७, २०३, २७०, ३३२, ३३४, ३३७, परिमद्दनधम्मोति-२३५ ३३८ परिमुखन्ति-२२८ परमत्थधम्मो-३३८ परियत्ति-२९, २१० परमत्थपारमीति-८२,८३ परियत्तिधम्मो-२१० परमत्थब्राह्मणो- १८८ परियत्तियन्ति-११७ परमत्थसच्चं-३३९ परियत्तोति-२१ परमत्यसमणो-१८८ परियन्तोति-२२९ परमत्थसिद्धियं-१०८ परियादियित्वाति-३६० परमत्थोति-२५ परियायो-४५, ११२ परमविसुद्धं-३१६ परियेट्ठि-२७२ परमं-६८,७४, २०५, २२८, २८३ परियेसनदुक्खमूलं- १६२ परसंहरणन्ति-१०३ परियोनन्धन्तीति-३५८ पराधीनोति-२२९ परियोसानन्ति-८,१३,९०,२१० परामासो-१३३ परिवट्टो-२१३ परायणन्ति-२४३ परिवत्तनत्यन्ति-११६ परिक्खारा-२८५, २८८,२८९, २९० परिवाराति-२८५ परिग्गहितत्ताति-१८४ परिवितक्को - ४०, २८२ । परिग्गहेत्वाति -२१५ परिसप्पनं-२३० परिच्चागचेतना- २८९ परिसुद्धन्ति-२१२,२१५, २३४,२८० परिच्चागलक्खणं-६३ परिसुद्धाजीवोति-२१४ परिजानाति-६४ परिसोधेतब्-६९ परिजापत्ति-१७७ परिस्सया-२२६,२९३ परिवं-८० परिळाहा-५९ परितस्सना-१३९ परोलोकोति-१४५ परित्तसञीति-१५१ पलिबुद्धनकिलेसोति-१९० परित्ताभा-१३७ पलिबुद्धाति-५९ परिदहित्वाति-२१३ पवत्तफलभोजिनो-२७२ परिनिट्ठापिताति-१३२ पवत्तमिच्छासलं-९३ परिनिब्बानन्ति-२९४ पवत्तितविपस्सना -२८३ परिनिब्बानपञत्ति-१७८ पवत्तिनोति-२१ परिपततीति-२२८ पवायतीति-५७ परिपाकाणा-२५४ पविसन्ता-२३७ परिपुच्छा-५८ पवुटाति-१९९ परिपुण्णकम्मन्ति-१९८ पवेणीधम्मो-१९३ परिपुण्णकिच्चा-३३६ पसन्नकारन्ति-२४३,३१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.009982
Book TitleSilakkhandhavagga Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVipassana Research Institute Igatpuri
PublisherVipassana Research Institute Igatpuri
Publication Year1998
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationInterfaith & Buddhism
File Size17 MB
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