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दीघनिकायो-३
(३.६.१७४-१७४)
वियत्ता विनीता विसारदा पत्तयोगक्खेमा । अलं समक्खातुं सद्धम्मस्स, अलं उप्पन्नं परप्पवादं सहधम्मेहि सुनिग्गहितं निग्गहेत्वा सप्पाटिहारियं धम्मं देसेतुं । नो च ख्वस्स मज्झिमा भिक्खू सावका होन्ति...पे०... मज्झिमा चस्स भिक्खू सावका होन्ति, नो च ख्वस्स नवा भिक्खू सावका होन्ति...पे०... नवा चस्स भिक्खू सावका होन्ति, नो च ख्वस्स थेरा भिक्खुनियो साविका होन्ति...पे०... थेरा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति, नो च ख्वस्स मज्झिमा भिक्खुनियो साविका होन्ति...पे०... मज्झिमा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति, नो च ख्वस्स नवा भिक्खुनियो साविका होन्ति...पे०... नवा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति, नो च ख्वस्स उपासका सावका होन्ति गिही ओदातवसना ब्रह्मचारिनो...पे०... उपासका चस्स सावका होन्ति गिही ओदातवसना ब्रह्मचारिनो, नो च ख्वस्स उपासका सावका होन्ति गिही ओदातवसना कामभोगिनो...पे०... उपासका चस्स सावका होन्ति गिही ओदातवसना कामभोगिनो, नो च ख्वस्स उपासिका साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना ब्रह्मचारिनियो...पे०... उपासिका चस्स साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना ब्रह्मचारिनियो, नो च ख्वस्स उपासिका साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना कामभोगिनियो...पे०... उपासिका चस्स साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना कामभोगिनियो, नो च ख्वस्स ब्रह्मचरियं होति इद्धञ्चेव फीतञ्च वित्थारिकं बाहुजनं पुथुभूतं याव देवमनुस्सेहि सुप्पकासितं...पे०... ब्रह्मचरियञ्चस्स होति इद्धञ्चेव फीतञ्च वित्थारिकं बाहुजङ पुथुभूतं याव देवमनुस्सेहि सुप्पकासितं, नो च खो लाभग्गयसग्गप्पत्तं । एवं तं ब्रह्मचरियं अपरिपूरं होति तेनङ्गेन ।
“यतो च खो, चुन्द, एतेहि चेव अङ्गेहि समन्नागतं ब्रह्मचरियं होति, सत्था च होति थेरो रत्तञ्जू चिरपब्बजितो अद्धगतो वयोअनुप्पत्तो, थेरा चस्स भिक्खू सावका होन्ति वियत्ता विनीता विसारदा पत्तयोगक्खेमा । अलं समक्खातुं सद्धम्मस्स, अलं उप्पन्नं परप्पवादं सहधम्मेहि सुनिग्गहितं निग्गहेत्वा सप्पाटिहारियं धम्मं देसेतुं । मज्झिमा चस्स भिक्खू सावका होन्ति । नवा चस्स भिक्खू सावका होन्ति । थेरा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति । मज्झिमा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति । नवा चस्स भिक्खुनियो साविका होन्ति । उपासका चस्स सावका होन्ति... गिही ओदातवसना ब्रह्मचारिनो । उपासका चस्स सावका होन्ति गिही ओदातवसना कामभोगिनो । उपासिका चस्स साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना ब्रह्मचारिनियो । उपासिका चस्स साविका होन्ति गिहिनियो ओदातवसना कामभोगिनियो । ब्रह्मचरियञ्चस्स होति इद्धञ्चेव फीतञ्च
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