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कुमारकस्सप ने ढेर-सारी उपमाएं देकर पायासि राजन्य की इस मिथ्या दृष्टि को दूर किया । इससे भाव-विभोर हो कर पायासि राजन्य ने कहा मैं भगवान गौतम की शरण जाता हूं, धर्म की भी, भिक्षु-संघ की भी । आज से आप जीवन भर के लिए मुझे अपना उपासक स्वीकार करें।
___ इस ‘सुत्त' में यह भी समझाया गया है कि दान कैसे देना चाहिए | दान श्रद्धापूर्वक, अपने हाथ से, उत्तम मन से देना चाहिए।
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