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दीघनिकायो-१
२४१ २४२
२१८ २१९
२४३
२२०
૨૨૬
२४४ २४५ २४६
२२२ २२२
२४७
ब्राह्मणानं जनपदकल्याणिं मग्गं देसेस्सन्ति मग्गं देसेम ब्राह्मणा ये धम्मा धम्मा अब्राह्मणकरणा ब्रह्मानं अपरिग्गहस्स अवस्सटं मनसाकटस्स लोकविदू अनुत्तरो विहरति तथा इति किर वासेट्ठ ब्रह्मसामञ्जअम्बठ्ठ सोणकूटमहाजाला
२२३ २२४
२२४
२४८ २४९ २५० २५१ २५२
२२५
२२५ २२६ २२७
२५३
[* यह शब्द पेय्याल में से हैं।]
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