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श्रीविजयपद्मसूरिविरचितः
णिग्गंथा णिग्गंथी, चउहिं ठाणेहि केवली होज्जा ॥ इय० ॥२५॥ उदगसमाणो भावो, चउब्विहो भावणा तहेव मया । इय० ॥२६।। चउहा संसारगई, उवसग्गचउक्कमित्थ चउभेयं । इय० ॥२७|| पाणाइवायभेया, चत्तारि सुए जिणेहि पण्णत्ता ॥ इय० ॥२८॥ अलियादिण्णादाणं, मेहुण मुच्छाइया तहा चउहा । इय० ॥२९।। अणुराहाणक्खत्ते, चउतारे चउरविंदवे लवणे ॥ इय० ॥३०॥ तह चउतारे वुत्ते, पुव्वासाढाहिहाणनक्खत्ते ॥ इय० ॥३१॥ उत्तरपढमासाढा, चउतारे चउविहा अकिंचणया ॥ इय० ॥३२।। उइओइयाइभेया, पुरिसा जुम्मा तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥३३।। सूरा चउप्पयारा, लेसा चत्तारि असुरदेवाणं ॥ इय० ॥३४॥ याणहया चउभेया, गयपुष्फफलाण होज्ज चउ भेया ॥ इय० ॥३५।। अंतेवासी चउहा, णिग्गंथी साविया य चउ भेया ॥ इय० ॥३६।। समणोवासगभेया, सुहदुहसेज्जा तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥३७|| लोयंधयारभासा, चउहि ठाणेहि होज्जिय सुयम्मि ॥ इय० ॥३८|| चउपलियाऊ पढमे, कप्पे सिरिवीरसड्डदसगस्स ॥ इय० ॥३९।। चत्तारि कारणाई, देवागमणेयराहिलासम्मि ॥ इय० ॥४०॥ चत्तारि वायणिज्जा, अवायणिज्जा तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥४१॥ तह कंथा चउभेया, लोए सरिसा तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥४२॥ अत्तफुडंगाइ तहा, पडिमाओ वत्थसिज्जपायाणं ॥ इय० ॥४३।। चउअत्थिकायपुट्ठो, लोओ चउरो पएसगणतुल्ला ॥ इय० ॥४४॥ चाउब्भेया पुहवी, चत्तारि तमं करंति अहलोए । इय० ॥४५।। चत्तारि तिरिअलोए, रविचंदाई करेंति पज्जोअं । इय० ॥४६।। चत्तारि उड्डलोए, आभरणाई करेंति पज्जोअं ॥ इय० ॥४७।। वाइसमोसरणाई, आहारपसप्पगा य चत्तारि ॥ इय० ॥४८।। आसीविसवाहीओ, चत्तारि करंडगाय आयरिया ॥ इय० ॥४९॥ तरुमच्छमेहगोला, चत्तारि तिगिच्छगा य वणसल्ला ॥ इय० ॥५०॥ पक्खी तह वद्धंसे, कडपत्त चउप्पयाइया चउहा । इय० ॥५१॥ चउ कारणवावारा, कम्मं पकरेंति आसुरत्ताए ॥ इय० ॥५२॥ चउकारणेण जीवा, कम्मं कुज्जाऽहिओगभावेणं । इय० ॥५३।। संमोहत्तेण तहा, कुज्जा कम्मं च साहणचउक्का ॥ इय० ॥५४|| किब्बिसियत्तेण तहा, कम्मं चउकारणेण साहिज्जा ॥ इय० ॥५५।। सत्तविहा पव्वज्जा, चउप्पयारा हवंति पत्तेयं । इय० ॥५६।। आहारस्स य सण्णा, उप्पज्जइ चेव साहणचउक्का ॥ इय० ॥५७||