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सद्धर्मसंरक्षक भाई थोकडे, बोल, विचार तथा बत्तीस सूत्रों का जानकार था और जब आप साधुमार्गी थे तब से ही आपका अनुरागी था । उससे इसने और इसके साथ सब साधुओं ने कहा कि "तुम बूटेराय के अनुरागी हो, इसलिये उसके पास जाकर उसे समझाओ कि मुँहपत्ती बाँध ले, नहीं तो फजीता होगा।" ___ तब भाई मोहोरसिंह आपके पास आया और वन्दना-नमस्कार करके आपके सामने बैठ गया । तथा बडी नम्रता के साथ हाथ जोडकर आपसे कहने लगा "गुरुजी ! आपने बहुत खोटा काम किया है, अपनी इज्जत-आबरू पर भी पानी फेर दिया है और हमें भी नीचा दिखलाया है।"
आपने कहा - "भाई ! मैंने कोई चोरीजारी तो नहीं की ! मुँहपत्ती का धागा ही तो छोडा है। यदि कोई भी मुझे मुँहपत्ती में डोरा डालकर मुँह पर चौबीस घंटे बाँधे रखने का जैनागमों में सूत्रपाठ दिखला देवे तो मैं फिर बाँध लूंगा।" जो सत्याग्रही होता है वह हठाग्रही, कदाग्रही अथवा उच्छृखल कदापि नहीं होता।
तब भाई मोहोरसिंह के साथ आपकी चर्चा जिनप्रतिमा मानने और मुँहपत्ती को मुँह पर न बाँधने के लिये हुई । वह बोला - "गुरुजी ! आपकी बात तो सर्वथा सत्य है, आजतक तो हम भूले ही रहे । परन्तु इस सच्चाई को अपनाने में आपको बहुत-बहुत मुसीबतें उठानी पडेंगी। नाना प्रकार के परिषह, उपसर्ग, अवहेलना, अपमान बहुत कुछ सहन करने पडेंगे। यदि हम लोग भी प्रत्यक्ष में आपकी श्रद्धा को स्वीकार करके आपका साथ देंगे, तो हम लोगों को यहाँ का समाज बहिष्कार करने की धमकियां दे रहा है। बाहर के सगे-सम्बन्धी भी हमसे नाराज होकर हमारा साथ छोड देंगे। ये
Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013)(2nd-22-10-2013) p6.5
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