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तो लोगों ने कहा, पागल हो! ऐसा घोड़ा था कि उसका चोरी चले जाना तो बहुत दुख का कारण है। वह सवार कहने लगा, खुश इसलिए हूं कि मैं घोड़े पर नहीं था। नहीं तो मुश्किल में पड़ जाता।
__तो देखने की दृष्टि है चीजों को। मैं बच गया यही क्या कम है! इस खुशी में बांटता हूं। घोड़ा ही गया, मैं बच गया। मैं भी घोड़े पर हो सकता था और चोर आ सकते थे, व्यर्थ का उपद्रव होता। लेकिन हमें यही बात दुख की हो सकती थी। हम कैसे जीवन को लेते हैं और देखते हैं!
एक कवि को एक चोर के साथ एक कारागृह में बंद कर दिया गया था। दोनों सीखचों को पकड़ कर खड़े थे। और चांदनी रात थी और आकाश छोटे-छोटे तैरते हुए बादलों में चमक रहा था। छोटी-छोटी बदलियां चांद में चमक रही थीं। और सामने ही सीखचों के बाहर एक झाड़ी पर खूब खूबसूरत फूल खिले हुए थे। एक कवि और एक चोर दोनों बंद थे। दोनों सीखचों के पास खड़े थे और उस चोर ने कहा कि कैसी रद्दी जगह है! एक तो सीखचे, दूसरे पास में ही एक डबरा था। उस पर मच्छर घूमते थे और कीच थी और पुराना सामान उस डबरे के आसपास भरा था। उसने कहा, यह डबरा! और इसी से तो परमात्मा पर विश्वास उठ जाता है। और उस कवि ने उसके पास ही खड़े होकर कहा, कैसी अदभुत रात है! कैसा चांद! कैसे चमकते हए बादल। इसी से तो परमात्मा पर विश्वास आ जाता है।
वे दोनों एक ही कारागृह में एक ही सीखचे के पास खड़े थे। उनके देखने की बात थी। एक था कि उसने डबरा देखा, और एक था कि उसने चांद देखा और बादल देखे। और एक था कि अनुगृहीत हो गया और एक था कि परमात्मा पर कुपित हो गया। सुख और दुख हमारे देखने के दृष्टिकोण हैं। वहां कहीं वस्तुओं में नहीं हैं। वहां कहीं स्थितियों में नहीं हैं। और इसीलिए हमारे हाथ में है कि हम किसी चीज में आज सख लेते हैं. कल दख लेने लगें। आज किसी को हम प्रेम करते हैं और पागल हो सकते हैं और कल हमारी आंख उठ जाए तो जैसे हम उसे पाने को पागल थे वैसे ही उससे बचने को पागल हो सकते हैं।
महाकवि बायरन हुआ। उसने शादी की। बहुत मुश्किल से शादी की, बहुत बदनाम हुआ। सारे यूरोप में बदनामी हई। अनैतिक आचरण के कारण न मालूम कितनी स्त्रियों को प्रेम किया। लेकिन प्रेम कभी किसी को कर नहीं पाया। दिन, दो दिन, और उसका मन उखड़ गया, मन भाग गया। एक स्त्री ने उसे मजबूर ही कर दिया। और उसे शादी करनी पड़ी। शायद पुरुषों ने कभी भी शादी न की होती अगर स्त्रियां उन्हें मजबूर ही न कर देतीं। शायद सारी सभ्यता, सारे घर-द्वार स्त्रियों ने मजबूर होकर बसवा दिए होंगे। वह बायरन को एक स्त्री ने मजबूर कर दिया। उसे विवाह कर लेना पड़ा।
विवाह करके वह चर्च से नीचे उतर रहा था। अभी चर्च की घंटियां बज रही हैं। अभी जो मोमबत्तियां जलाई गई हैं उसके विवाह की खुशी में, अभी वे जल रही हैं। अभी लोग विदा हो रहे हैं। और वह अपनी पत्नी का हाथ पकड़ कर सीढ़ियां उतरा और उसने एक अदभुत बात अपनी पत्नी से कही। उसने कहा, यह कैसा अदभुत है। अभी सांझ तक मेरा हृदय धड़क रहा था कि तुमसे विवाह हो जाए तो मैं सब कुछ पा लूंगा। और अब मैं पाता हूं कोई बात ही नहीं है।
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