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हो सकते हैं? राम किसी घेरे में हो सकते हैं? क्राइस्ट किसी घेरे में हो सकते हैं? लेकिन हम, हम जो घेरों को प्रेम करने वाले लोग हैं, न केवल हम अपना घेरा बनाते हैं, हम उनको भी घेर कर खड़े हो जाते हैं। इसकी वजह से सारी मनुष्य-जाति सारे मनुष्य-जीवन के जो अनुभव थे उनसे जितनी लाभान्वित हो सकती थी, सारे जीवन के जो संपदा प्रसून थे, जो फूल थे सुगंध वाले, उनसे जितनी लाभान्वित हो सकती थी, नहीं हो सकी।
हमारे दायरे तोड़ दें! धार्मिक व्यक्ति का कोई दायरा नहीं है, कोई मंदिर नहीं है, कोई पूजा नहीं है। धार्मिक व्यक्ति का तो एक जीवन जीने का ढंग है, फिलॉसफी ऑफ लाइफ, जीवन को जीने का एक दर्शन है। जीवन को जीने के दर्शन में तीन सूत्रों पर ध्यान रखें और तीन गलत सूत्रों को विस्मरण करें।
अहिंसा विस्मरण करें, प्रेम को स्मरण करें। प्रेम विधायक है, अहिंसा नकारात्मक। प्रेम–सर्वभाव, सर्वमंगल। अहिंसा-निषेध, अहंकार। अमैथुन भूलें, ब्रह्म-भाव, ब्रह्मचर्य। ब्रह्मचर्य का मतलब ही यह होता है कि ईश्वर जैसी चर्या, ईश्वर जैसा जीवन। ईश्वर जैसे जीवन का अर्थ : एक अद्वैत भाव। सबके भीतर जो एक है उसकी प्रतीति और अनुभूति। अमैथुन का भाव छोड़ें, अमैथुन की शिक्षा ने हिंदुस्तान को कामुक बनाया।
आज जमीन पर हमारी कौम से ज्यादा कामुक कोई कौम नहीं है। आज हमसे ज्यादा मैथुन की भाषा में सोचने वाले लोग नहीं हैं। हमारी कविताएं, हमारी किताबें, हमारे उपन्यास, हमारी फिल्में, हमारा उठना-बैठना, हमारा बोलना, सोचना, हमारे ढंग, सारे के सारे सेक्सुअलिटी से भरे हैं। और हमने अमैथुन की शिक्षा दी। हमने अहिंसा की शिक्षा दी। और हमसे ज्यादा हिंस-भाव और हमसे ज्यादा कायर लोग कहां हैं! हमसे ज्यादा मृत्यु से डरने वाले लोग कहां हैं! जिसके जीवन में प्रेम होगा वह कायर नहीं होगा। जिसके जीवन में प्रेम होगा वह मृत्यु से भयभीत नहीं होगा। जिसके जीवन में प्रेम होगा उसका जीवन तो एक सर्व समर्पण की निरंतर प्रक्रिया होगी।
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