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महावीर परिचय और वाणी
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घोध होता है और न उसके भार की हत्या करने की भावना का पदा होना भी स्वाभाविक है । मुये एसा लगता है कि जाज बहुत से मनुष्य मिफ इसलिए मनुष्य हैं कि उनकी पशुयोति मया पाये की यानि मया उनके पत्थर होने की अवस्था म महावीर न सदेश भेजे थे और उन्हें नवा भेजा था। इस बात की भी साज-चीन की जा सकती है किनिने लोगा का उस तरह का प्ररणा उपलब्ध हुइ और व आग बढे । यह इतना भूत काय है कि कवन इसकी वजन स महाबार मनुष्य मानस ये बड़े से बड़े नाता वन जान है ।
अगर किसी भी व्यक्ति को पीछे का अविवसित चेतनाओं और स्थितिया स तादात्म्य स्थापित करना है ता उमे अपनी चतना को उही तला पर लाना पडता है जिन तला पर व चतनाएं है । यह जानकर आप हैरान हाग कि महावीर वा चिह्न सिंह है । इसका कारण यह है कि पिछला चेतनाय स तादात्म्य स्थापित करने में महावीर को सरस ज्यादा सरलता सिंह से तादात्म्य स्थापित करन में हुई । उनका व्यक्तित्व भी सिंह जसा है । वे पिछले जन्मो में सिंह रह चुके थे और लाटकर उससे तादात्म्य स्थापित करना उनके लिए एकदम सरल हो गया था। बात यह है कि जब उनका सिंह मे तादात्म्य हुआ होगा तर उन्हाने पूरी तरह जाना होगा कि मसि हू और सिंह उनना प्रतीत बन गया। सिंह की तरह वे भी सृष्ट मनात नम भी सिंह का सा अदम्य मान है भय है ।
पीछे उतरवर तात्म्य स्थापित करन के लिए आवश्यक है कि चेतना का निरनर
आया जाय जिसम उसम कोई गति
निथिए विया जाय उस इस जड स्थिति में न रह जाय, वह बिल्कुल नियिल, आर विराम को उपल्ध हो जाय । वरार जब जड हा आर चेतना निति तथा शून्य हो तब किसी भी वन, पशु जोर पौने से तादात्म्य स्थापित किया जा सकता है । और एक मजे की बात है अगर
से तादात्म्य स्थापित करना हो ता किमी साम वम से ताटात्म्य स्थापित करने को जरत हो । वक्षा की पूरा जाति व माय तायत्म्य स्थापित हा सवना है क्या उनसे अभी पति पत्र नही हुआ, अभी अहवार और अम्मिता नहीं है-नमा
एक जाति की तरह नीते हैं । इस सागत्म्य को स्थिति म जो मानव सक् किया जायगा वह प्रतिध्वनित होकर उन पर जीवा तर व्याप्त हो जायगा । जत यदि गुल पना की जाति स तादाम्य स्थापित किया गया हो ता उम क्षण म जा भी भावन्नर पदा हामी वह मम्न गुलाना तक
तात्म्य वो एमी जवस्था में महावीर ने बहुत म काम उनका बहुत गी बातें कर पा यह मय है कि नाना मफील ठारी गइ इनका पारण है fr
सत्रमय हो जायगी ।
गुजारा और एमी अवस्था जितना मुल है । उहें इमापन हुआ। समय उतर पान मधील ठावी जा रही या उस नय