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महावीर परिचय और वाणी
३१९ बराबर दो। यही समाज का खेल है। साधुआ को आदर दो। खेल जारी रखो। उसमे व नुक्सान नहीं हो रहा है किसी पा । लेकिन उसे विनय न समझ लो।
(३) वयावत्य वा अथ रोता है--सेवा । शायद पथ्वी पर अकेले इसाइयत ने घम म सेवा का प्राथना और साधना के रूप म विकसित किया। लेकिन वैयावत्य का अथ वह नहीं है जो ईसाइयो की सेवा का ह । महावीर के अनुयायी भी समझते रह हैं कि वयावत्य का अथ है वद्ध या रग्ण साघुओ की सेवा । ऐसा अथ रगाने का एक कारण है। साधु साधु की सेवा करने की बात सोच ही नहीं सकता। जा साधु नहीं हैं वे ही साधु की सेवा करने वाते हैं । ईसाइयत द्वारा दिया गया अथ भी ठीक नहा है। भारत ने विवेकानद स लेकर गाघी तक जा मी सेवा काय दिया है, वह ईसाइयत की सेवा है।
पडित वेचरदास दोगी ने महावीर वाणी म पारिमापिर शदावे जो अथ दिए हैं उनमे वैयावत्य का वही अथ बताया है जो इसाइयत का है। उहाने कहा है कि वयावत्य का अथ है वार व रोगी जादि अपने समान धमिया को सेवा । ईसाइ भी सेवा का यही यथ वतात है । असल म ईसाइयत जपेला धम है जिसने सवा को ने द्रीय स्थान दिया है। विवेकानद न रामकृष्ण मिशन का जा गति दी, वह ठीक साई मिशनरी की नकल थी। वस्तुत विवेकानद से रेवर गाधी या विनोवा तर जिन लोगा ने भारत में सेवा का विचार किया है वे सब इसाइयत से प्रभावित हैं। इमाइयत की सेवा की जो धारणा है वह मविप्यो मस है, 'फ्यूचर ओरिएण्टेट' हैं। ईसाइयत मानती है कि सेवा के द्वारा ही परमात्मा को पाया जा सकता है मेवा के द्वारा ही मुक्ति होती है । सेवा एवं साधन है सा य मुक्ति है। ऐसी सवा म प्रयाजन छिपा है। वह पुछ पान के लिए है । वह पाना बुरा भी हो सकता है मच्छा भी हो सकता है नैतिक हो सकता है अनतिय हो मक्ता है। किंतु एक बात निश्चित है कि ऐसी सेवा की धारणा वासना प्रेरित है। इसलिए ईसाई प्रचारक एक पेगन, एक तोन वासना मे भरा हुआ हाता है । उसने सारी वामना को सेवा बना दिया है और यही कारण है कि उसके सामने दुनिया के अय धमों के प्रचारक टिक नहीं सक्त।
भारतीय धम ईमाइयत की नकर भले ही करें, परतु वे ईसाइयत की धारणा का नहा पक्ह सपते । इसका कारण यह है कि भारतीय मन का खयाल है कि जिस सेवा म प्रयोजन है वह सेवा हा नहा रटी । महावीर भी यही कहते हैं। सेवा होनी चाहिये निप्प्रयाजन । उनक अनुमार सवा तीता मुस हो 'पास्ट ओरिएण्टड' हो भविष्य के लिए न हो । महावीर बहत हैं कि अतीत म हम्न जा बम निए हैं, उन विसजन व लिए सेवा है । इमरा और कोई प्रयाजन नहा है आगे । इसस कुछ मिलेगा नहा बलि जा वल गलत इपटसा हो गया है उसकी निजग होगा ससया विमजन होगा।