________________
मावोर परिचय और याणी
२८७ गापित यो उल्न लगता है और पुरान या या मक्ति मिल जाती है, गिरर को और कध्वगमन शुरू हो जाता है। काम-वामना का हमारा वेद्र सवा नाने है । परी सहम प्रवृत स पुढे हैं। महनार हमारा सबसे ऊंचा पद
। वहीं मे हम परमात्मा स-दिव्यता, भयता और भगवत्ता स-जुटे हैं। आपन यामी सयार रिया है कि आपरे मस्तिपम विचार चलता है वाम-वामना पा मोर नापरा नाम- पिम प्रचार तरार सत्रिय हा जाता है ? विचार चरना है मस्तिष में और तत्वार मनिय ही उटना है उाम दूर आपया साम मः। ठीर इसी प्रकार जरा ही तपस्वी गहसार की ओर ध्याा दता है वैसे ी सयार या सत्रिय होना शुरू हो जाता है और जब गति पर पी आर जाती * तब उसबा नीचे की तरफ पाना अमम्मर हा जाता है। जापत्ति पोगिव पर पर चढ़ायामाग मिरन लगता है तब वह पाटियाँ छान लगती है । जब प्रमाण पे जगन म गति या प्रवाहाने एगता है तब यह अंघर जगत् से चुपचाप स्टन लगती है। उसके मन मन तो बंधेर पी निन्दा हानी है और न विराप । प्याा काम्पानरण है तप ।
माप्य ये भातर जीयन का जो मग्नि है उम अगिमा कम्यगमा तपम्यो पा एग्य होता है उस नीच या आर र साना गोगा या रय । मागाया है जो जीयन पी अग्नि या तीच पी और प्रवाहित करता है। तपस्वी उम अगिया परमा मा और गिद्धापम्या की ओर " पाता है।
(१) सच पूटिए ता अग्नि या म्याप ही जारपीआर जाता है। पानी नौदे को पार यता है पिन अगि? यह स्वगाय म कायगामी है । एर बार नापास पाया अग्नि ५ अघगामा हाा पाया जाय ता पिर आपका उगकर जान गिा प्रगम नग परना पगा। एर पार मायार पारप गस्ती या IT मुटजर ता पिर नगा पती पटती। पिर तो पर अगिमान भाग वमी रखी है।
(१५) गत स्पीति भादत या Tी। टी साम्पीयर गोगान II माना ! FTP सरयो ताग टार रारम्या
पार पर जा भी गती है, पर प्यार का माम जनामिना गम्बी - शीना पर IT
तिनी TRITI मापारिया या गानी पीना पर पान frन र माता और तपा पति यती। या नि माग गरमा fry Infrने rim माग र जाताना दोarni मानोरा चौरामाती है