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महावीर परिचय और वाणी
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रना चाहता है । य अतियाँ हैं । दवास की सरलता उस क्षण में उपवध होती है जब आपको पता ही नही लगता कि आप श्वास ले रहे हैं । जो व्यक्ति जितन समी होता है उसकी सास भी उतनी ही सयमित हो जाती है । ध्यान मे जो राग गहरे जात हैं वे मुयस आकर पूजत हैं कि वहा सास बन्द तो नहीं हो जायगी ? बद नही होती साम । लेकिन इतनी शान्त और समतुल हो जाती है कि इसका थाना जाना पता ही नहीं चत्ता । जिस व्यक्ति की मास जितनी सयमित हो जाती है उसके भीतर सयम की सुविधा उतनी ही वढ जाती है। इसलिए महावीर न सास वे ऊपर बडे गहर प्रयोग किए हैं।
(२०) महावीर नही बहन कि कम साओ, कम सोआ । व बहत हैं कि उतना ही साओ जितना सम है साओ लेकिन न तो भूस का पता चले और न भाजावा । महावीर कहते हैं कि पता चलना वीमारी की पहचान है । नसर म रीर के उसी अग का पता चरता है जा बीमार होता है । स्वस्थ अग का पता हा चरता | महावीर बहत हैं सम्यक आहार करा कि पता ही न चले । भूस वा मोना, भोजन का भी नहा सान वा भी नही जागन वा भी नहीं, श्रम का भी नहा, विश्राम घा भी नही । मगर हम दो म स एव ही कर पात हैं। वुद्ध भी ज्यादा वर ऐन का कारण क्या है ? कारण है कि ज्यादा कर लेन में हम पता चलता है कि हम हैं। यह बहार है कि हम पता चलता रहे हिम हैं । औरा को भी मेरी उपस्थिति वा वाघ होता रहे । इसलिए यसयम के सिवा हमारे लिए और काई भाग नही रह जाता
(२१)
महावीर-जस व्यक्ति अनुपस्थित होने का ही सयम और हमा बहन हैं । अमयम अथात् हिंसा | हिंसा पर्याय है मारवियत की भावना वा अहवार या, अपनी उपस्थिति वा ओरा पर जाहिर करने या । जिगाविस बात का पता है हमें ? गुना है ठोकी गई था। लेकिन यह महावीर की जिन्दगी की घटना जिगीघटना है जहाने वोले ठापी थी । सुना है महानोर या तयार यह दिया था। यह भी महावार को दिगी को घटना नहीं है । अगर हम महावीर ये जीवन में घटनाओं की साज परे ता कोरा कागज ही हाथ आदमी को माइ जिनगी नहा होती । इसलिए बहानी चिनी हो या उपयागपुरे आदमी या ही चुना पढता है ।
अगर हम महावीर की कि उनके पान म वोलें ही है यह तो उनकी कि किसी चिल्लाकर
गेगा।
(२२) रावण व बिना हम रामायण या पन्ना भी नहा कर रावत । य होय लिए बुरा होना विकुल जरी है । विन्तु समीप जीवन से सारी घटना विवहा पानी है | असयमा आमी कहना चाहता है कि म हूँ । भी वह ज्यादा जाहिर करता हैम है मोर भी उपनाम, मो वश्यालय जावर
છૂટ