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महावीर परिचय और वाणी
२४३ यहार भी इसर साय पहा हा जाता है । जब हम रेट जात हैं तब हमारा अहसार मास्ट जाता है। हमार टिफेस वे तत्व गिर जात है। मानिए परत हैं कि मनप्य की वृद्धि विन मित हुई है उसर सड़े होन स । यह सच है। ममी पतु पथ्वी में समाना तर जात हैं । वेनानिय पहत हैं रि भादमी था पर पर पड़ा हो जाना ही उसको तयावथित युरिया विकास है। रेपिन साथ हा गायन र अन्तरतम स जागनिब पाक्तिपा मे, उसय व गहर मम्बाप तिथि- और पीण हो गए हैं। उग रेटपर यह सम्बय पुन स्थापित परना पटता है। इसरिता अगर मदिरों म मूर्तियों व मामने, गिरतापरा म, मस्जिना म रोग सुकर जमीन पर रेट जात हैं ताउमा बंगानिक वारण है । रेटा पर हमारा टिफेस टूट जाता है हमारो अपडएट जाता है। पर या समपण पर देता है तब वह अपन या गर भांति छोट दता है एम ही
र यो पदी यो घार म पायो साट द और घार वरान रग तर हा बहन द। तो शरणागति वहाय है पनगटारना है और जग ही पाई वहा है वम ही नित्तय ममा तनाय छूट जाते हैं।
(५) शरणागति मानराि याति या यदान या राय है। जप जाप गरें होन हैं तो आपो भीतर पीिित गारपिम्म मा होता है और जब आप पथ्वी पर 72 जात है तर यह पुछ और होती है। पित योनी विशप आनियो हानी। अगर या परिपूण नाय गे पाये रिमें अरित की गण आता! गिर पी रण आग पग गी पर माता ता य ाव उमरी मानरिख आरति मो यार ना है और मारिय आति से बाही उग जादाम TATTण र हा
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